शेयर बाजार के लिए वित्त वर्ष का आगाज जितना अच्छा रहा था, अंजाम उतना ही खौफनाक रहा।
इसी साल 21,000 से ऊपर की ऊंचाई छूने वाला बाजार वित्त वर्ष के आखिरी दिन बिल्कुल हांफ गया और भारी बिकवाली के कारण औंधे मुंह गिर गया। वित्त वर्ष के आखिरी कारोबारी सत्र के खात्मे पर सेंसेक्स करीब 727 अंक गिरकर 15,644.44 अंक पर बंद हुआ। बाजार महंगाई, डेरिवेटिव के घाटे और अमेरिकी मंदी के साथ-साथ नए लेखा मानकों से डरा हुआ है।
गिरावट की मार दिग्गज कंपनियों पर ज्यादा पड़ी और उनके शेयर भी धूल फांकते नजर आए। बैंकिग, आईटी, ऊर्जा और धातुओं के शेयरों में जबरदस्त गिरावट देखी गई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी में 207 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और यह 4,734 स्तर पर बंद हुआ।सेंसेक्स 17 मार्च को 14,809.49 अंक तक लुढ़क गया था, लेकिन पिछले सप्ताह इसमें 1376 अंक या नौ प्रतिशत की मजबूती दर्ज की गई। यह सिलसिला आज जारी नहीं रहा और सबके अरमान धरे रह गए।
कारोबारियों के अनुसार, इंस्टीटयूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने कंपनियों से कहा है कि वे इस वित्त वर्ष से डेरीवेटिव्ज सौदों से हुए सभी तरह के नुकसान का खुलासा करें। इससे कंपनियों की चौथी तिमाही की आय में कमी की आशंका है। इसका असर भी बाजार पर पड़ा। एशियाई एवं यूरोपीय बाजारों में गिरावट का रुख रहा। मुद्रास्फीति दर में तेजी का असर भी बाजार पर देखने को मिला।
बिकवाली दबाव के चलते एचडीएफसी, आईसीआईसीआई बैंक, डीएलएफ, ओएनजीसी, इन्फोसिस, आरईएल तथा टीसीएस के शेयर नुकसान के साथ बंद हुए। वहीं महिंद्रा एंड महिंद्रा तथा सिप्ला के शेयर को लिवाली समर्थन का लाभ मिला। लेकिन बाकी कमोबेश सभी शेयर बिकवाली की वजह से जलवा नहीं बिखेर सके।