परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) के शेयरों की कीमत संभावना को लेकर ब्रोकरों की राय बंटी है। हाल के मजबूत व्यावसायिक प्रदर्शन और वृद्धि के लिए दीर्घावधि राह से उनको मदद मिल सकती है मगर ऊंचे मूल्यांकन से ज्यादा तेजी की गुंजाइश थम सकती है।
दो सबसे बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों एचडीएफसी एएमसी और निप्पॉन इंडिया एएमसी (एनएएम) ने वित्त वर्ष 2024 की पहली तीन तिमाहियों में 20-20 प्रतिशत से ज्यादा की मुनाफा वृद्धि दर्ज की। ऐसी मुनाफा वृद्धि अन्य दो सूचीबद्ध एएमसी आदित्य बिड़ला सनलाइफ (एबीएसएल) और यूटीआई के मामले में भी देखी गई (सितंबर तिमाही में इनका मुनाफा घट गया)।
ब्रोकरों का कहना है कि आगामी तिमाहियों में इन कंपनियों के मजबूत विकास की राह पर डटे रहने की संभावना है। हालांकि इनमें से कई का मानना है कि इस सकारात्मक उत्साह का असर शेयर कीमतों पर पहले ही दिख चुका है और इसलिए कम से कम दो बड़ी एएमसी के मामले में ज्यादा तेजी की संभावना सीमित है। कैलेंडर वर्ष 2023 में एचडीएफसी एएमसी का शेयर भाव करीब 47 प्रतिशत चढ़ा।
निप्पॉन इंडिया के मामले में यह वृद्धि 79 प्रतिशत पर रही। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस समय ये शेयर क्रम से 41.2 और 28.6 के पीई पर कारोबार कर रहे हैं जो उनके पांच वर्षीय औसत 35.9 और 27.4 से ज्यादा है। ऐक्सिस सिक्योरिटीज ने एनएएम को 585 रुपये के कीमत लक्ष्य के साथ ‘खरीदें’ रेटिंग दी है।
ब्रोकरेज फर्म का कहना है, ‘एनएएम इस समय सितंबर 2025 की अनुमानित आय के करीब 24 गुना पर कारोबार कर रही है। एयूएम वृद्धि में सुधार और पिछली तीन तिमाहियों में बाजार भागीदारी में लगातार वृद्धि के कारण हमने अपने एयूएम और राजस्व वृद्धि अनुमान बढ़ा दिए हैं।’
एचडीएफसी एएमसी को ‘बनाए रखें’ रेटिंग देने वाली बीओबी कैपिटल ने ऊंचे पीई मल्टीपल के साथ इसका कीमत लक्ष्य बढ़ाया है। बीओबी कैपिटल ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘कुल बाजार भागीदारी में सुधार, इक्विटी योजनाओं के प्रदर्शन में सुधार और अनुमान से बेहतर मुनाफे को ध्यान में रखकर हमने अपने मल्टीपल को अपग्रेड किया है।
हालांकि लिक्विड और डेट एयूएम बाजार भागीदारी पर दबाव और पैतृक से कम संरक्षण चिंता का विषय है। सितंबर के अंत से शेयर में 30 प्रतिशत तेजी आने के बाद मूल्यांकन भी महंगा हो गया है जबकि सूचकांक में 10 प्रतिशत तेजी आई है।’ ब्रोकरों के अनुसार एकमात्र समस्या इक्विटी योजनाओं के बढ़ते आकार की वजह से प्रतिफल पर दबाव से जुड़ी हुई है।
म्युचुअल फंड योजनाएं सेबी स्लैब के तहत निर्धारित टेलीस्कोपिक प्राइसिंग फॉर्मूले से जुड़ी होती हैं, जिसमें फंड आकार का उल्लंघन होने पर एमएफ को अपने शुल्क कम करने पड़ते हैं। ब्रोकरों के अनुसार एबीएसएल और यूटीआई को लगातार बाजार भागीदारी में गिरावट का सामना करना पड़ा है। खरीद रेटिंग देने वाले ब्रोकरों का मानना है कि एएमसी मजबूत वृद्धि की राह पर बनी रहेंगी।