बाजार नियामक सेबी रिसर्च एनालिस्टों (शोध विश्लेषकों) और निवेश सलाहकारों के मामले में प्रशासनिक व निगरानी की जिम्मेदारी के किसी शेयर बाजार को सौंप सकता है। इसके अलावा विज्ञापनों की मंजूरी और आवेदनों की जांच के काम जैसे कई गैर-प्रमुख कार्य भी एक्सचेंज को दिए जाएंगे। इस सिलसिले में अभी सर्कुलर जारी किया जाना है।
नए नियम लागू होने के बाद नए शोध विश्लेषक का आवेदन स्टॉक एक्सचेंज के जरिये आएगा और सेबी के पंजीकरण के लिए एक्सचेंज की सूची में शामिल होना जरूरी हो सकता है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने दस्तावेज कामसौदा देखा है।
हालांकि मौजूदा शोध विश्लेषकों को नए प्रशासनिक निकाय के पास दोबारा पंजीकृत होने की दरकार नहीं होगी जो मौजूदा बीएसई स्वामित्व वाले प्रशासनिक निकाय के साथ निवेश सलाहकारों के लिए पंजीकरण के लिए किया गया था।
सेबी ने मार्च की बोर्ड बैठक में स्टॉक एक्सचेंज को रिसर्च एनालिस्ट एडमिनिस्ट्रेशन बॉडी (आरएएएसबी) और इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स एडमिनिस्ट्रेशन ऐंड सुपरवाइजरी बॉडी (आईएएएसबी) के तौर पर मान्यता देने को मंजूरी दी थी।
हालांकि प्रवर्तन की कार्रवाई और जुर्माना आदि की कार्रवाई अभी भी नियामक के हाथ में रहेगी। नए प्रावधान लागू होने के बाद मनोनीत स्टॉक एक्सचेंज चेतावनी जारी कर सकता है या मामले को प्रवर्तन की कार्रवाई के लिए भेज सकता है।
दस्तावेज में कहा गया है कि सेबी की तरफ से निर्धारित अन्य गैर-प्रमुख कार्य सेबी और आरएएएसबी दोनों करेंगे। शोध विश्लेषकों की गतिविधियों के सिलसिले में सेबी आवधिक रिपोर्टों और जांच के जरिए आरएएएसबी की निगरानी करेगा।
चूंकि आरएएएसबी प्रशासनिक शुल्क वसूलेगा। इसलिए बाजार नियामक ने अपने नियामकीय शुल्क में कमी का फैसला किया है ताकि शोध विश्लेषकों और निवेश सलाहकारों के लिए ट्रांजिशन का शुल्क तटस्थ रह सके। उदाहरण के लिए मौजूदा शुल्क ढांचे के मुतातिक वैयक्तिक आवेदकों को 15,000 रुपये चुकाने होते हैं।
संशोधित शुल्क ढांचे में आवेदन और पंजीकरण के लिए सेबी को चुकाया जाने वाला शुल्क सिर्फ 5,000 रुपये होगा जबकि आरएएएसबी को 5 साल के लिए प्रशासनिक शुल्क के तौर पर 10,000 रुपये देने होंगे।
सेबी की तरफ से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2024 में 1,176 पंजीकृत शोध विश्लेषक थे। शोध विश्लेषकों की संख्या तब से कई गुना बढ़ी है जब दिसंबर 2014 में पहली बार शोध विश्लेषक के नियम अस्तित्व में आए।