Stock Market: अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से अगले साल ब्याज दरों में कटौती को लेकर लगातार बढ़ रही निश्चितता से भारतीय इक्विटी बेंचमार्क लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में नई ऊंचाई को छू गए।
सेंसेक्स ने कारोबारी सत्र की शुरुआत नई ऊंचाई के साथ की और बढ़कर 72,484.34 पर पहुंच गया, लेकिन अंत में 372 अंक की बढ़त के साथ 72,410 पर बंद हुआ। निफ्टी ने 124 अंक के इजाफे के साथ 21,779 पर कारोबार की समाप्ति की। दोनों की सूचकांकों ने इंट्राडे और बंद आधार पर नई ऊंचाई को छू लिया।
दिसंबर में निफ्टी ने 10 कारोबारी सत्र की समाप्ति नई ऊंचाई के साथ की जबकि सेंसेक्स ने नौ कारोबारी सत्र के दौरान ऐसा किया। इंट्राडे के आधार पर निफ्टी ने 13 सत्रों में नई ऊंचाई को छुआ जबकि सेंसेक्स ने 11 सत्रों में नई ऊंचाई को छुआ। साल 2023 में सेंसेक्स 19 फीसदी चढ़ा है जबकि निफ्टी में 20.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
केंद्रीय बैंकों की तरफ से ब्याज दर में कटौती की उम्मीद, बेहतर आर्थिक आंकड़े और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के मजबूत निवेश के चलते भारतीय इक्विटी बाजार इस महीने लगातार चढ़ता रहा है। ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और मजबूत हुई जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व का महंगाई को लेकर अनुमान नवंबर में सहज हुआ।
Also read: Sachin Tendulkar की लगी लॉटरी! Azad Engineering के शेयरों ने दिया 26 करोड़ रुपये का तगड़ा मुनाफा
10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल पिछले दो कारोबारी सत्रों में 2.6 फीसदी फिसलने के बाद थोड़ा सुधरा है और यह 3.8 फीसदी पर कारोबार कर रहा है। बॉन्ड की मजबूत मांग से संकेत मिलता है कि फेड की संभावित कटौती से पहले निवेशक आकर्षक प्रतिफल चाहते हैं। निवेशक अपने दांव बढ़ा रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि फेडरल रिजर्व अगले साल मार्च तक ब्याज दर घटाएगा।
कुछ विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि दरों में कटौती बाजारों की उम्मीद के मुताबिक शायद नहीं होगा। साथ ही उन्होंने स्मॉल व मिडकैप के ऊंचे मूल्यांकन को लेकर भी चेताया है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, सूचकांक इस स्तर भी बहुत महंगा नहीं है। लेकिन काफी खुदरा निवेशक बाजार आ रहे हैं और स्मॉल व मिडकैप शेयर उठा रहे हैं, जो चिंता का विषय है। संस्थागत निवेशक और व्यावहारिक सोच रखने वाले निवेशकों के एक समूह ने अब अपना ध्यान लार्जकैप को ओर कर लिया है क्योंकि व्यापक बाजारों में मूल्यांकन ऊंचा है।
एफपीआई का निवेश चीन जाने को लेकर भी चिंता है, अगर वहां की अर्थव्यवस्था चीन की सरकारके प्रोत्साहन वाले कदमों से सुधरता है और भूराजनीतिक तनाव में इजाफा होता है तो जिंस की कीमतें बढ़ेंगी।