Stock Market: भारतीय इक्विटी बेंचमार्कों में मंगलवार को लगातार तीसरे दिन गिरावट दर्ज हुई क्योंकि निवेशकों के मनोबल पर पश्चिम एशिया में पसरे तनाव का असर बरकरार रहा। पिछले दो कारोबारी सत्रों में 1 फीसदी से ज्यादा टूटने के बाद सेंसेक्स व निफ्टी में मंगलवार को 0.6 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। सेंसेक्स 456 अंक टूटकर 72,944 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी-50 में 125 अंकों की गिरावट आई और यह 22,148 पर टिका।
हालांकि स्मॉलकैप सूचकांकों का रुख अलग रहा और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स में मंगलवार को 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांक करीब-करीब सपाट बंद हुआ। पश्चिम एशिया के तनाव का बाजार पर असर बरकरार है। इस बीच इजरायल ने कहा है कि वह ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमलों का जवाब देगा जबकि अमेरिका और यूरोप के अधिकारी जवाबी कार्रवाई टालने की कोशिश कर रहे हैं।
गुरुवार को रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद होने के बाद से निफ्टी-50 इंडेक्स पिछले तीन कारोबारी सत्रों में 2.7 फीसदी फिसला है जबकि सेंसेक्स में 2.8 फीसदी की गिरावट आई है। विशेषज्ञों ने कहा कि अल्पावधि में ब्याज दरों में कटौती की संभावना खत्म होने और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार बिकवाली ने भारतीय इक्विटी बाजारों की चिंता बढ़ा दी है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि अमेरिका में खुदरा बिक्री के अनुमान से ज्यादा मजबूत आंकड़े आने के बाद चिंता बढ़ी और इस धारणा को बल मिला कि फेडरल रिजर्व दर कटौती में देर कर सकता है जिससे डॉलर इंडेक्स व अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में इजाफा हुआ। आईटी सेक्टर में खासी गिरावट आई, विशेष तौर पर इस अनुमान से कि अमेरिका में स्वविवेक से होने वाले खर्च में कमजोरी से आय प्रभावित होगी और चौथी तिमाही में देसी कंपनियों के नतीजे सुस्त रह सकते हैं।
निफ्टी-50 के शेयरों में हर पांच में से तीन में गिरावट आई और सबसे ज्यादा टूटने वाले आईटी शेयर रहे। इन्फोसिस, एलटीआई माइंडट्री में क्रम से 3.7 फीसदी और 3.2 फीसदी की गिरावट आई। विप्रो ने 2.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की जबकि एचसीएल टेक 1.9 फीसदी गिरा।
वैश्विक अवरोधों के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अपनी बिकवाली बढ़ा दी है। मंगलवार को उन्होंने 4,468 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और तीन दिन में उनकी बिकवाली करीब 18,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। एफपीआई की लगातार बिकवाली से रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.54 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर चला गया।
उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका में बॉन्ड का बढ़ता प्रतिफल अभी इक्विटी व करेंसी बाजार के लिए परेशानी की अहम वजह है और एफपीआई की बिकवाली का कारण भी यही है।
अमेरिका में महंगाई के हालिया आंकड़ों के बाद फेडरल रिजर्व की ब्याज कटौती की संभावना अब दिसंबर हो गई है। इससे परिसंपत्तियों की दोबारा प्राइसिंग हुई और 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल महीने की शुरुआत के 4.2 फीसदी के मुकाबले बढ़कर अभी 4.7 फीसदी पर पहुंच गया है। मोटे तौर पर अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल और जोखिम वाली परिसंपत्तियां एक दूसरे से विपरीत दिशा में चलते हैं।
बोफा के अर्थशास्त्रियों ने एक नोट में कहा है कि इस साल महंगाई में तेजी ने दिसंबर से पहले ब्याज दर कटौती को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। महंगाई में और बढ़ोतरी फेड की नरमी साल 2025 में जा सकती है। इस मामले में अहम मसला यह होगा कि हाउसिंग की महंगाई अनुमान के मुताबिक घटेगी या ऐसी ही बनी रहेगी। हमें ब्याज कटौती का समय आगे खिसकने का जोखिम दिख रहा है, भले ही फेड इस साल ब्याज कटौती के लिए कितना ही इच्छुक क्यों न हो।