फरवरी में निवेशक धारणा में बड़ा बदलाव देखा गया क्योंकि इक्विटी म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं में एकमुश्त निवेश ( जिसे अक्सर ‘स्मार्ट मनी’ या ‘अवसरवादी प्रवाह’ माना जाता है) में बाजार में बड़ी गिरावट के बावजूद कमजोरी देखी गई। सकल एकमुश्त निवेश फरवरी में घटकर करीब 33,000 करोड़ रुपये रह गया जो जनवरी में 44,800 करोड़ रुपये और दिसंबर 2024 में 50,500 करोड़ रुपये था। एकमुश्त निवेश में यह गिरावट इक्विटी योजनाओं के शुद्ध निवेश में 26 प्रतिशत मासिक गिरावट का मुख्य कारण थी क्योंकि एसआईपी निवेश 26,000 करोड़ रुपये पर स्थिर रहा।
ऐतिहासिक रूप से बाजार में उतार-चढ़ाव या गिरावट के दौरान एकमुश्त निवेश में तेजी आई है। उदाहरण के लिए, सबसे ज्यादा मासिक सकल एकमुश्त निवेश जून 2024 में दर्ज किया गया था जो चुनाव नतीजों की उथल-पुथल वाला महीना था। हालांकि, फरवरी का रुझान इस पैटर्न से अलग था।
फंड अधिकारियों के अनुसार जहां कुछ निवेशक पिछले तीन महीनों के दौरान अपनी अतिरिक्त पूंजी पहले ही लगा चुके हैं, वहीं अन्य आगामी बाजार गिरावट की उम्मीद में इसे अपने पास रख सकते हैं। इसके अलावा, खासकर व्यापार शुल्कों से जुड़ी वैश्विक अनिश्चितताएं सतर्क रुख बरकरार रख सकती हैं।
मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) में डिस्ट्रीब्यूशन ऐंड स्ट्रैटजिक अलायंसेज की प्रमुख सुरंजना बड़ठाकुर ने कहा, ‘जहां एसआईपी मजबूत बने हुए हैं, वहीं एचएनआई और छोटे निवेशकों, दोनों का एकमुश्त निवेश संभवत: वैश्विक समस्याओं या मुनाफावसूली की वजह से कमजोर दिख रह है।’विशेषज्ञ फरवरी के रुझान को पिछले रझान के उलट के तौर पर मानने के खिलाफ आगाह कर रहे हैं।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया में वरिष्ठ विश्लेषक (मैनेजर रिसर्च) नेहल मेश्राम ने कहा, ‘यह निष्कर्ष निकालना अभी जल्दबाजी होगा कि रुझान बदला है या नहीं। जहां पिछले आंकड़ों से पता चलता है कि निवेशक एकमुश्त निवेश के माध्यम से बाजार में गिरावट का लाभ उठा रहे हैं, वहीं अनिश्चितता, तरलता संबंधी चिंताओं और बदलती निवेश प्राथमिकताओं के मौजूदा माहौल ने इस रुझान को बदल दिया है। निवेशक अब तत्काल बड़े पैमाने पर निवेश करने के बजाय एसआईपी के माध्यम से अधिक सतर्क, दीर्घावधि दृष्टिकोण को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं।’
ट्रस्ट फंड के मुख्य कार्याधिकारी संदीप बागला का मानना है कि आगामी महीनों में निवेश आवक सुधरेगी। उन्होंने कहा, ‘घरेलू वृद्धि में नरमी और डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के नीतिगित बदलावों की वजह से बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता ने बाजार मूल्यांकन में गिरावट को बढ़ावा दिया है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की लगातार बिकवाली ने बाजार की बेचैनी को और बढ़ा दिया है। निवेशक सतर्क रुख अपना रहे हैं और बाजार में उतार-चढ़ाव कम होने के बाद ही उनके निवेश बढ़ाने की संभावना है जिसमें कुछ महीने लग सकते हैं।’