प्रमुख सीमेंट कंपनियों अल्ट्राटेक सीमेंट, अंबुजा सीमेट्स, डालमिया भारत, श्री सीमेंट और जेके सीमेंट ने विभिन्न क्षेत्रों में सीमेंट की कीमतों में 1 से 4 फीसदी यानी 5 रुपये से लेकर 15 रुपये प्रति कट्टा (50 किलोग्राम) की बढ़ोतरी की है। सीमेंट डीलरों और विश्लेषकों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी।
विशेषज्ञों ने कहा, 50 किलोग्राम वाले सीमेंट के कट्टे की औसत कीमत इस बढ़ोतरी से पहले 380 रुपये थी, जो अब प्रति कट्टा 385 से 395 रुपये हो गई है।
कीमत में यह बढ़ोतरी 3-4 महीने बाद हुई है, जिस वजह से इन फर्मों में से कुछ के शेयरों में शुक्रवार को बीएसई पर 1 से 3 फीसदी तक की उछाल दर्ज हुई।
अल्ट्राटेक का शेयर 1.8 फीसदी चढ़कर 7,299.2 रुपये पर बंद हुआ, वहीं श्री सीमेंट व जेके सीमेंट में क्रमश: 2.7 फीसदी व 2.9 फीसदी की उछाल आई। अल्ट्राटेक, अदाणी सीमेंट (जिसके पास अंबुजा सीमेंट ए एसीसी का स्वामित्व है) और श्री सीमेंट ने इस संबंध में टिप्पणी करने से मना कर दिया।
लेकिन इस क्षेत्र पर नजर रखने वाले विश्लेषकों ने कहा कि सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी इसलिए हुई है क्योंकि निर्माण व बुनियादी ढांचा गतिविधियों के जोर पकड़ने के बीच सीमेंट की मांग मजबूत बनी हुई है।
मुंबई के एक विश्लेषक ने कहा, सीमेंट क्षेत्र के लिए अक्टूबर के बाद से ही बेहतर हालात हो जाते हैं, लेकिन दिसंबर तिमाही कीमत के लिहाज से अच्छी नहीं थी। कंपनियों को अक्टूबर में की गई 2 से 5 फीसदी कीमत बढ़ोतरी वापस लेनी पड़ी थी। इस बार उम्मीद की जा रही है कि कीमत बढ़ोतरी वापस नहीं होगी क्योंकि मांग मजबूत है।
केयर एडवाइजरी की निदेशक तन्वी शाह ने कहा, हमने अल्पावधि में सीमेंट के वॉल्यूम में बढ़ोतरी देखी है। वित्त वर्ष 23 में सीमेंट का वॉल्यूम करीब 8-9 फीसदी रहने की संभावना है क्योंकि हाउसिंग की तरफ से मांग उभरी है और आम चुनाव 2024 के कारण सरकाकर बुनियादी ढांचे के विकास पर लगातार ध्यान केंद्रित कर रही है।
क्रिसिल की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है, कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी परिचालन मार्जिन को सहारा देने के लिए जरूरी हो गया। वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही में सीमेंट कंपनियों का परिचालन या एबिटा मार्जिन सालाना आधार पर 10 से 15 फीसदी घट गया क्योंकि ऊर्जा व ईंधन लागत में तेजी से बढ़ोतरी हुई थी।
सीमेंट उत्पादन की कुल लागत में ऊर्जा व ईंधन की लागत प्रति टन 30 से 35 फीसदी होती है। माल ढुलाई आदि की लागत कुल लागत का 10 से 15 फीसदी (प्रति टन) बैठता है।
मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सीमेंट कंपनियों पर महंगाई का दबाव नरम हुआ और पेट कोक व आयतित कोयले की कीमतें अपने सर्वोच्च स्तर से नीचे आई। क्रिसिल व केयर जैसी रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि उनका परिचालन मार्जिन पिछले साल के मुकाबले दूसरी छमाही में अभी भी 4 से 5 फीसदी घट सकता है।
क्रिसिल रेटिंग्स के सहायक निदेशक अंकित केडिया ने हालिया रिपोर्ट में कहा है, सीमेंट उत्पादन की लागत इस वित्त वर्ष में 8 से 9 फीसदी बढ़ सकती है, क्योंकि पेट कोक व कोयले की घटी कीमतों का फायदा वित्त वर्ष के आखिर में ही दिखेगा।
विश्लेषकों संग हालिया बातचीत में अल्ट्राटेक के कार्यकारी निदेशक और सीएफओ अतुल डागा ने कहा था, उद्योग की कंपनयों का ध्यान अब लागत के प्रबंधन से कीमत बढ़ोतरी की ओर जा रहा है। सीमेंट का वॉल्यूम हालांकि बेहतर है, लेकिन लागत ज्यादा है।