T20 World Cup and Stock Market: भारत के शेयर बाजार और टी20 विश्व कप (T20 World Cup) में जीत से क्या रिश्ता हो सकता है? ऐसी क्या बात है जो वीरेंद्र सहवाग कह दिए। क्या है कंसोलिडेशन फेज, आखिर पता कैसे चलता है? अभी भी आप सोच रहें होंगे न? तो आइये जानते हैं वो बात
पूर्व भारतीय क्रिकेटर और आक्रामक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में भारत की T20 वर्ल्ड कप जीत और स्टॉक्स (stocks) के बीच रिश्ता बताया। सहवाग ने कहा कि टीम इंडिया, स्टॉक्स की तरह, कंसोलिडेशन रेंज से बाहर निकल चुकी है। भारतीय क्रिकेट टीम, स्टॉक्स की तरह, सालों से रेंजिस्टेंस का सामना कर रही थी और ICC ट्रॉफियों में फिनिश लाइन पार नहीं कर पा रही थी।
वीरेंद्र सहवाग ने शनिवार यानी 29 जून को केंसिंग्टन ओवल में दक्षिण अफ्रीका पर भारत की विश्व कप टी20 जीत के बाद एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘जैसे स्टॉक्स में कंसोलिडेशन के बाद ब्रेकआउट होता है, जहां सालों के रेजिस्टेंस के बाद एक मल्टीईयर ब्रेकआउट होता है और यह नए हाई लेवल तक पहुंचता है, मुझे लगता है कि यह हमारे लिए एक ब्रेकआउट जीत है। सालों तक हमने अच्छा खेला, एक रेंज में बने रहे, कंसोलिडेट हुए लेकिन ICC ट्रॉफियों में फिनिश लाइन रेजिस्टेंस को पार नहीं कर पाए। मुझे लगता है कि विश्व कप की जीत 13 साल का ब्रेकआउट है और इस जीत के साथ, मुझे लगता है कि हम आने वाले सालों में कई ICC ट्रॉफियां जीतेंगे।’
Like in stocks, there is a breakout after consoldation in a range, where after resistance for years there is a multiyear breakout and it reaches new highs, I have a feeling that this is a breakout win for us.
For years, we have played well , been consistent in a range,… pic.twitter.com/Db7D9l5zsM— Virender Sehwag (@virendersehwag) June 30, 2024
स्टॉक मार्केट में कंसोलिडेशन फेज के दौरान, एक स्टॉक या इंडेक्स एक स्पेशिफिक रेंज के भीतर ट्रेड करता है, जिसमें ‘सपोर्ट’ और ‘रेजिस्टेंस’ लेवल शामिल होते हैं। प्राइस स्पेशिफिक लो लेवल – सपोर्ट – से उलट जाती है और हाई लेवल – रेजिस्टेंस- पर बिक्री के दबाव का सामना करती है। यह स्थिति, कुल मिलाकर, कंसोलिडेशन को परिभाषित करती है।
कंसोलिडेशन फेज के दौरान, स्टॉक एक निश्चित रेंज में कम वॉल्यूम के साथ ट्रेड करता है। इसे ऊपरी स्तरों पर बेचने का दबाव होता है, जहां पहले सप्लाई देखी गई थी। इसी तरह, जब कीमत सुधरती है, तो काउंटर उस लेवल से पलटता है, जहां पहले खरीदारी हुई थी। कुछ स्विंग्स को छोड़कर, वॉल्यूम कम रहते हैं, जो अनदेखी की जा सकती है।
RSI और MACD जैसे टेक्निकल इंडिकेटर इस फेज के दौरान साइडवेज मूवमेंट दिखाते हैं। टेक्निकल इंडिकेटर , ट्रेंड की डायरेक्शन, स्ट्रेंथ और मोमेंटम की पहचान करने के टूल होते हैं। इंडीकेटर्स की किसी स्पेशिफिक डायरेक्शन में ट्रेंड न कर पाने की क्षमता एक कंसोलिडेशन फेज को दर्शाती है।
जब स्टॉक या इंडेक्स कंसोलिडेट हो रहा होता है, तो टेक्निकल चार्ट पर अक्सर डोजी, स्पिनिंग टॉप और हैमर (Doji, Spinning Top, and Hammer) जैसे कैंडलस्टिक पैटर्न देखे जा सकते हैं। आमतौर पर, एक ब्रेकआउट पर, एक बड़ा कैंडलस्टिक मजबूत वॉल्यूम के साथ देखा जाता है, जिससे पता चलता है कि एक ब्रेकआउट प्रोग्रेस में है।
हालांकि, निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए कि जब तक स्टॉक या इंडेक्स में निश्चित और लगातार क्लोज के साथ ब्रेकआउट न हो, उन्हें जल्दी से ट्रेंड को कंफर्म नहीं करना चाहिए।
स्टॉक के प्रमुख आउटलुक की स्टडी इसके मंथली चार्ट पर आसानी से किया जा सकता है। जब स्टॉक की कीमत कंसोलिडेशन फेज से बाहर निकलती है, तो लंबे समय तक एक मजबूत मूव की उम्मीद की जा सकती है। आसान शब्दों में कहें, जितना लंबा स्टॉक या इंडेक्स का कंसोलिडेशन फेज होगा, उतनी ही बड़ी संभावित मूल्य चाल (likely price move) होगी।