पिछले दो वर्षों में शानदार रिटर्न दर्ज करने के बाद शेयर बाजारों ने वित्त वर्ष 2023 में अल्पकालिक विश्राम लिया और सेंसेक्स व निफ्टी ने मामूली बदलाव के साथ वित्त वर्ष की समाप्ति की। वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी, रूस-यूक्रेन युद्ध, बढ़ती महंगाई और विकसित दुनिया में बैंकिंग संकट ने साल के दौरान शेयर कीमतों के प्रदर्शन पर लगाम रखी।
सेंसेक्स ने 423 अंक यानी महज 0.7 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 58,991 पर साल की समाप्ति की, वहीं निफ्टी 105 अंक यानी 0.6 फीसदी गिरकर 17,360 पर टिका। हालांकि भारी उतारचढ़ाव के बाद भी निफ्टी 1 दिसंबर को अब तक के सर्वोच्च स्तर 18,812 पर पहुंचा और 17 जुलाई को इसका निचला स्तर 15,293 रहा था। इसी तरह सेंसेक्स 50,921 से 63,583 के बीच झूलता रहा। निफ्टी मिडकैप मामूली बढ़त दर्ज करने में कामयाब रहा, लेकिन निफ्टी स्मॉलकैप 100 साल के दौरान करीब 15 फीसदी घटा, जो व्यापक बाजार पर दबाव का संकेत देता है।
वित्त वर्ष 23 में विकसित दुनिया के केंद्रीय बैंकों को आर्थिक वृद्धि की कीमत पर बढ़ रही कीमतों के प्रबंधन को प्राथमिकता देने को बाध्य होना पड़ा क्योंकि महंगाई कई साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई थी।
महामारी के बाद प्रोत्साहन वाले कदमों की वापसी और ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने निवेशकों को लगातार परेशान रखा। वैश्विक अवरोध के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की अगुआई में बिकवाली जारी रही, जिन्होंने भारतीय इक्विटी बाजार से 38,377 करोड़ रुपये की निकासी की।
अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयरों में हुई अप्रत्याशित बिकवाली ने भी साल में सुर्खिंयां बटोरी। अदाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 24 जनवरी की रिपोर्ट के बाद एक महीने से भी कम में घटकर 12 लाख करोड़ रुपये रह गया। इस गिरावट का बाजार पर कुल मिलाकर असर बहुत ज्यादा नहीं रहा, लेकिन दुनिया की बाजार पूंजीकरण सूची में भारत की स्थिति खराब हो गई। साल के दौरान भारत पहली बार पांच अग्रणी देशों की सूची में शामिल हुआ, लेकिन बाद में सातवें पायदान पर आ गया। भारत का बाजार पूंजीकरण जून 2022 के बाद घटकर 3 लाख करोड़ डॉलर से नीचे चला गया। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
अल्फानीति के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा, इस वित्त वर्ष में उतारचढ़ाव में इजाफा करने में अदाणी समूह की थोड़ी भूमिका रही। बाकी योगदान ब्याज दरों और भूराजनीतिक संकट आदि ने किया।
भारत का रिटर्न कम रहने के बावजूद भारत दुनिया भर में साल के ज्यादातर समय सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बाजारों में से एक बना रहा। हालांकि बाकी दुनिया के बाजारों ने आखिरी तिमाही में कुछ सुधार दर्ज किया। पर भारत एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स को मात देने में कामयाब रहा, जो 14.2 फीसदी घटा जबकि एमएससीआई वर्ल्ड इंडेक्स में इस दौरान 10.3 फीसदी की गिरावट आई।
देश में मजबूत नकदी ने एक बार फिर भारत को सहारा दिया और देसी संस्थागत निवेशकों ने वित्त वर्ष 23 में 1.7 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। बाजारों में सीधे निवेश करने वाले खुदरा निवेशकों से भी इक्विटी को मदद मिली। हालांकि लगातार हो रहे उतारचढ़ाव से साल की आखिरी तिमाही में खुदरा भागीदारी में कमी देखने को मिली।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बाजारों में लड़खड़ाहट जारी रही तो देसी निवेश आने वाले समय में कमजोर हो सकता है, खास तौर से बॉन्ड बाजार की तरफ से पेश आकर्षक रिटर्न को देखते हुए।
इक्विनॉमिक्स के सह-संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, हम सिर्फ देसी निवेश पर आश्रित नहीं रह सकते। यह सीमित होता है और बाजार तभी अच्छा रिटर्न देता है जब एफपीआई निवेश आता है। देसी निवेशक नुकसान को कम सकते हैं। हम लगातार तीसरे साल मजबूत देसी निवेश की उम्मीद नहीं कर सकते।
भट्ट ने कहा, देसी निवेश तब तक जारी रह सकता है जब तक कि बाजारों में दो अंकों में गिरावट न हो जाए।
निफ्टी के घटकों में सुरक्षित माने जाने वाले एफएमसीजी शेयर आईटीसी की अगुआई में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले के तौर पर उभरे। दूसरी ओर आईटी शेयर सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में शामिल रहे, जिस पर वैश्विक अनिश्चितता का असर पड़ा। अनिश्चित माहौल को देखते हुए विश्लेषक उम्मीद कर रहे हैं कि अगले वित्त वर्ष में रिटर्न मामूली रहेगा।
इस महीने एक नोट में बोफा सिक्योरिटीज ने निफ्टी के लिए दिसंबर 2023 का लक्ष्य 19,500 से घटाकर 18,000 कर दिया है और इसके लिए आय में बढ़त के अनुमानों में गिरावट के दबाव का हवाला दिया है।