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T+0 settlement: सेबी ने तरलता की चिंता देखकर टी+0 निपटान के लिए दो चरणों का रखा प्रस्ताव

कई विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) और संस्थागत निवेशक तरलता बंटने की फिक्र भी जता रहे थे, जिसे दूर करने की कोशिश SEBI ने इस परामर्श पत्र में की है।

Last Updated- December 22, 2023 | 9:01 PM IST
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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) उसी दिन (टी+0) निपटान की प्रक्रिया लागू करने से पहले दो चरण में निपटान शुरू करने का विचार कर रहा है। फिलहाल सौदों का निपटारा 1 दिन बाद (टी+1) होता है और बाजार नियामक इक्विटी कैश श्रेणी में टी+0 का विकल्प देने पर भी विचार कर रहा है ताकि सौदों का निपटान उसी दिन हो सके।

सेबी ने टी+0 निपटान की प्रणाली तय करते हुए एक परामर्श पत्र जारी किया है और इसमें आने वाली चुनौतियों पर राय मांगी है। कई विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) और संस्थागत निवेशक तरलता बंटने की फिक्र भी जता रहे थे, जिसे दूर करने की कोशिश सेबी ने इस परामर्श पत्र में की है। उसने दो चरणों में शुरुआत करने की सलाह दी है ताकि देखा जा सके कि कम समय में निपटारे का बाजार पर क्या असर होगा और तकनीक तथा परिचालन की समस्याएं तो नहीं आएंगी।

अभी जारी व्यवस्था के मुताबिक प्रतिभूतियां और रकम सौदे के अगले दिन डीमैट खाते में पहुंचते हैं। सभी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए टी+1 यानी एक दिन बाद निपटान की व्यवस्था भी भारत में इसी साल शुरू हुई है।

सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने पहले संकेत दिया था कि उसी दिन निपटान की व्यवस्था अगले साल मार्च-अप्रैल से शुरू कर दी जाएगी। उसके 12 महीने बाद तुरंत निपटान भी लागू कर दिया जाएगा।

सेबी का प्रस्ताव है कि दोपहर डेढ़ बजे तक हुए सौदों के लिए टी+0 निपटान का विकल्प दिया जाए और उसी दिन दोपहर बाद साढ़े चार बजे तक रकम तथा प्रतिभूतियां खाते में पहुंचा दी जाएं। दूसरे चरण में दोपहर बाद साढ़े तीन बजे तक हुए सौदों का तत्काल ट्रेड बाई ट्रेड सेटलमेंट यानी निपटारे का विकल्प दिया जा सकता है। परामर्श पत्र में कहा गया है कि दूसरा चरण लागू होते ही पहला चरण समाप्त कर दिया जाएगा।

पहले चरण में एफपीआई और चुनिंदा संस्थागत निवेशक जैसे कस्टोडियन ग्राहकों को बाहर रखा जा सकता है। उन्हें दूसरे चरण में शामिल किया जाएगा।

सेबी ने कहा कि निपटान के और छोटे चक्र से प्रतिभूति बाजार में पूंजी और जल्दी मुक्त होगी, क्लियरिंग कॉरपोरेशन जोखिम को ज्यादा बेहतर ढंग से संभाल पाएंगे तथा निवेशकों का अपने धन तथा शेयर आदि प्रतिभूतियों पर बेहतर नियंत्रण होगा।

तरलता बंटने की चिंताओं पर सेबी ने कहा है कि कुछ ऐसे प्रतिभागी भी होंगे जो उसी दिन निपटान और टी+1 निपटान का लाभ एक साथ उठा पाएंगे। दोनों श्रेणियों के बीच कीमत तथा तरलता का अंतर वे ही पाटेंगे।

परामर्श पत्र में कहा गया है, ‘एक ही शेयर के भाव दोनों श्रेणियों में अलग-अलग होने की समस्या भी श्रेणियों के बीच मूल्य दायरा (मान लीजिए +100 आधार अंक) तय करने से सुलझाई जा सकती है। इससे पक्का हो जाएगा कि टी+1 और टी+0 चक्रों के बीच भाव में अंतर एक सीमा के भीतर ही हो।’

सेबी ने स्वीकार किया है कि अलग-अलग निपटान चक्र होने से भाव तय करना मुश्किल हो सकता है, ट्रेडिंग की लागत बढ़ सकती है, तरलता कम होने पर भी लागत बढ़ सकती है तथा भाव में अंतर भी हो सकता है।

टी+0 निपटान की व्यवस्था अभी बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 500 कंपनियों को ही उपलब्ध कराई जाएगी। टी+1 की ही तर्ज पर टी+0 भी तीन खेपों में लागू होगा। सबसे कम बाजार पूंजीकरण वाली 200 कंपनियां पहले इसका लाभ ले पाएंगी। उसके बाद उनसे अधिक पूंजीकरण वाली 200 और अंत में सर्वाधिक पूंजीकरण वाली 100 कंपनियां इसके दायरे में आएंगी।

सेबी का कहना है कि एक्सचेंज टी+0 में जाने वाली प्रतिभूतियों तथा समय सारणी की साझा सूची जारी करेंगे। साथ ही टी+0 के लिए अलग सीरीज या स्क्रिप कोड भी तैयार किए जाएंगे। सेबी ने इन सिफारिशों पर राय 12 जनवरी, 2024 तक मांगी है।

First Published - December 22, 2023 | 9:01 PM IST

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