भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को करीब एक फीसदी की उछाल दर्ज हुई। बाजार को ईरान और इजरायल के बीच हुए संघर्ष विराम से बनी वैश्विक जोखिम की धारणा से सहारा मिला। हालांकि निवेशक भू-राजनीतिक जोखिम को लेकर सतर्क बने रहे।
सेंसेक्स 700 अंक यानी 0.85 फीसदी बढ़कर 82,756 पर बंद हुआ। निफ्टी 200 अंक यानी 0.8 फीसदी के इजाफे के साथ 25,245 पर पहुंच गया। बाजार पूंजीकरण 4 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 454 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। दोनों सूचकांक अक्टूबर की शुरुआत के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर बंद हुए। ब्रेंट क्रूड की कीमतें 0.6 फीसदी गिरकर 66 डॉलर प्रति बैरल रह गईं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2,428 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। देसी संस्थागत निवेशकों ने इस बिकवाली की भरपाई कर दी, जिन्होंने 2,373 करोड़ रुपये की खरीदारी की। ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष विराम टूटने के कोई संकेत बुधवार को नहीं दिखे। दोनों देशों ने शुरुआती उल्लंघनों पर अमेरिकी दबाव के बाद संघर्ष विराम को बनाए रखने का वादा किया। लेकिन बाजार के प्रतिभागी सतर्क रहे और वे सैकड़ों लोगों की जान लेने वाले संघर्ष के हफ्तों बाद स्थायी शांति के स्पष्ट संकेतों की प्रतीक्षा कर रहे थे।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (वेल्थ मैनेजमेंट) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, हमें उम्मीद है कि वैश्विक भू-राजनीतिक चिंताओं में कमी और सकारात्मक घरेलू संकेतों के कारण भारतीय बाजार में मजबूती बनी रहेगी। निवेशक वित्तीय शेयरों पर ध्यान देंगे जिन्हें आरबीआई के हाल के नकदी-सहजता उपायों से सहारा मिला है। बारिश के रुझानों में सुधार के कारण मॉनसून से जुड़े क्षेत्रों पर भी ध्यान की उम्मीद है। इस बीच, पूंजी बाजार से जुड़े शेयरों को व्यापक बाजार में बढ़ी गतिविधियों और आईपीओ की कतार से लाभ मिलने की संभावना है।
निवेशकों ने अब अपना ध्यान वैश्विक अर्थव्यवस्था और अमेरिकी व्यापार शुल्कों से कंपनियों के मुनाफे और वृद्धि पर पड़ने वाले असर पर केंद्रित कर दिया है। ऊपर से दिखती शांति के बावजूद निवेशक नए भू-राजनीतिक तनाव को लेकर असमंजस में हैं। टैरिफ स्थगन की समय-सीमा (जो 8 जुलाई को समाप्त होने वाली है) भी निवेशकों को बेचैन कर रही है क्योंकि व्यापार समझोतों पर कोई बड़ी प्रगति नहीं हुई है।
हाल के महीनों में हुई बढ़त ने भी आगे की उछाल के लिए बहुत कम गुंजाइश छोड़ी है। सेंसेक्स अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से महज 3.6 फीसदी दूर है जबकि निफ्टी सितंबर में दर्ज अपने सर्वकालिक उच्चस्तर से 3.7 फीसदी कम है। बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात मजबूत रहा और 2,779 शेयर चढ़े जबकि 1,262 में गिरावट आई।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्र ने कहा, मिलेजुले वैश्विक संकेतों के बावजूद बाजार में हाल में आई तेजी इसमें निहित मजबूती को दर्शाती है। हालांकि बढ़ती अस्थिरता के कारण ट्रेडर सतर्क हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि निफ्टी ने जून की मासिक एक्सपायरी से ठीक पहले 25,200 अंक को पार कर लिया है। यह देखना महत्त्वपूर्ण होगा कि क्या निफ्टी इस स्तर से ऊपर टिक सकता है, खासकर विभिन्न क्षेत्रों में में अलग-अलग रुझानों को देखते हुए।
सेंसेक्स की बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान एचडीएफसी बैंक ने किया, जिसमें एक फीसदी की तेजी आई। सेंसेक्स में गिरावट वाले सिर्फ तीन शेयर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, कोटक महिंद्रा बैंक और ऐक्सिस बैंक रहे।