सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के तौर पर भारतीय कंपनी जगत का लाभ बढ़कर 15 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गया और यह वित्तीय, ऊर्जा और वाहन कंपनियों के लाभ में सुधार की बदौलत हुआ।
मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषण के अनुसार निफ्टी-500 कंपनियों के लिए लाभ और जीडीपी का अनुपात वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 4.8 फीसदी पर पहुंच गया जो वित्त वर्ष 2023 में 4 फीसदी था।
ब्रोकरेज ने कहा कि सभी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए यह अनुपात 5.2 फीसदी बैठता है। वित्त वर्ष 24 में हुई वृद्धि में वित्तीय, ऊर्जा (तेल व गैस) और वाहन कंपनियों का योगदान 95 फीसदी रहा। निफ्टी-500 कंपनियों का लाभ वित्त वर्ष 2024 में सालाना आधार पर 30 फीसदी की दर से बढ़ा जो वित्त वर्ष 2023 में वार्षिक आधार पर घटकर 9.3 फीसदी रह गया था (यह वित्त वर्ष 2022 में 52 फीसदी था)।
वित्त वर्ष 24 में भारतीय कंपनी जगत के लाभ को मजबूती मिली क्योंकि वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के दौरान वृद्धि की रफ्तार मजबूत बनी रही। वित्त वर्ष 24 की चौथी तिमाही में 200 अग्रणी फर्मों की आय में वृद्धि की रफ्तार सालाना आधार पर 20 फीसदी से ज्यादा रही जो आम राय के अनुमान के मुकाबले करीब 500 आधार अंक ज्यादा है।
नोमूरा ने पिछले हफ्ते एक नोट में कहा था कि वित्तीय, वाहन, रियल एस्टेट, पूंजीगत सामान और हेल्थकेयर के मामले में सालाना आधार पर वृद्धि दर मजबूत रही। जिंसों खास तौर से धातुओं के अलावा केमिकल व कंज्यूमर स्टेपल के मामले में सालाना वृद्धि की रफ्तार कमजोर रही। आईटी सेवाओं में वृद्धि एक अंक में यानी नरम रही।
नोट में कहा गया है कि वाहन, बिजली, तेल व गैस और इंडस्ट्रियल्स के मामले में आय में अपग्रेड अच्छा रहा वहीं आईटी सेवा, एफएमसीजी और केमिकल के लिए आमराय वाले आय अनुमान में रिकॉर्ड कटौती जारी रही। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वित्त वर्ष में भी लाभ और जीडीपी का अनुपात और सुधर सकता है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा कि वित्त वर्ष 24 में क्रेडिट की वृद्धि 16 फीसदी थी जबकि परिसंपत्ति की गुणवत्ता भी एक दशक में सबसे अच्छी रही। जब परिसंपत्तियों की गुणवत्ता सुधरती है तो प्रावधान की जरूरत घट जाती होती है और लाभ में मजबूती आती है जिससे लाभ और जीडीपी के अनुपात में वित्तीय क्षेत्र के योगदान में सुधार होता है।
कुल मिलाकर लाभ-जीडीपी अनुपात में सुधार होगा क्योंकि आईटी क्षेत्र का लाभ इस वित्त वर्ष में सुधरने के आसार हैं। वित्तीय और वाहन क्षेत्रों का लाभ मजबूत बना रहेगा। दूरसंचार क्षेत्र का लाभ टैरिफ बढ़ोतरी के कारण मजबूत होगा। सीमेंट क्षेत्र में अगली छमाही में सुधार होगा। इतना ही नहीं, अर्थव्यवस्था में 7 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि की उम्मीद है और मॉनसून भी सामान्य रहने की संभावना है। वित्त वर्ष 24 में नॉमिनल जीडीपी सालाना आधार पर 9.6 फीसदी बढ़ा जो कंपनियों के लाभ की वृद्धि दर से कम है।
पिछले दशक के मुकाबले भारतीय कंपनी जगत के लाभ में वृद्धि की दर नॉमिनल जीडीपी वृद्धि की दर के मुकाबले कम रही जिसने इस अनुपात को भी कम किया। हालांकि हाल के वर्षों में कंपनियों के लाभ में वृद्धि ने जीडीपी वृद्धि की दर को पीछे छोड़ दिया है। इसकी वजह शुद्ध लाभ मार्जिन में सुधार रहा हालांकि राजस्व की वृद्धि सुस्त बनी रही।
वित्त वर्ष 2011 और वित्त वर्ष 2020 के बीच कंपनियों का लाभ-जीडीपी अनुपात घटता रहा है और अपवाद वाला एकमात्र वित्त वर्ष 2017 था। कोविड के दौरान वित्त वर्ष 20 में यह अनुपात दो दशक के निचले स्तर 2.1 फीसदी पर पहुंच गया था।
वित्त वर्ष 2017 में अनुपात सुधरा था क्योंकि ग्लोबल साइक्लिकल्स (मसलन धातु और ऊर्जा) में सुधार हुआ था और सरकारी बैंकों के नुकसान इससे पिछले वर्ष के मुकाबले कम हुए थे।