NSE Indices ने बुधवार को इंडेक्स में शामिल कंपनियों की तरफ से कारोबार अलग करने की योजना के साथ किए जाने वाले नियम में परिवर्तन कर दिया। सूचकांक प्रदाता ने कहा है कि कारोबार अलग करने की ओर बढ़ रही कंपनी को अब वह अपने सूचकांकों में बनाए रखेगा। यह अहम बदलाव रिलायंस इंडस्ट्रीज की वित्तीय सेवा इकाई के अलग होने के प्रस्ताव को देखते हुए हुआ है।
मौजूदा नियम के तहत आरआईएल (जिसका निफ्टी-50 में सबसे ज्यादा भारांक है) को इंडेक्स से बाहर निकालना होगा, जिससे निफ्टी इंडेक्स को ट्रैक करने वाले फंडों की तरफ से अनावश्यक तौर पर बिकवाली होगी।
निफ्टी इंडिसीज ने कहा कि कारोबार अलग करने से जुड़े निफ्टी इक्विटी इंडाइसेज के तरीके में बदलाव वैश्विक चलन और बाजार के भागीदारों से मिली प्रतिक्रिया के मुताबिक है।
सूचकांक प्रदाता ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, इस बदलाव से इंडेक्स में शामिल शेयरों में बिकवाली कम करने में मदद मिल सकती है, जो कारोबार अलग करने वाले कंपनी के कदम से होगी। यह भी कहा गया है कि नया तरीका कारोबार अलग करने वाली उन योजनाओं पर लागू होगी जिसे 30 अप्रैल, 2023 को या इससे पहले इक्विटी शेयरधारकों की मंजूरी मिली हो।
आरआईएल पहले ही कारोबार अलग करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है और यह योजना 2 मई को शेयरधारकों व लेनदारों के सामने मतदान के लिए रखी जाएगी। जियो फाइनैंशियल सर्विसेज को सितंबर 2023 में एक्सचेंजों पर अलग से सूचीबद्ध कराया जा सकता है।
नुवामा इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के प्रमुख (ऑल्टरनेटिव व क्वांटिटेटिव रिसर्च) अभिलाष पगारिया ने कहा, आरआईएल से जियो फाइनैंशियल को अलग किए जाने के संबंध में शेयरधारकों की मंजूरी से पहले यह बदलाव समय पर हुआ है। पहले के तरीके में अलग किए गए शेयर को तब इंडेक्स से पूरी तरह से बाहर कर दिया जाता था जब उसे शेयरधारकों की मंजूरी मिल जाती थी। जब जियो फाइनैंशियल अलग हो जाएगी और इंडेक्स से बाहर हो जाएगी तब आरआईएल का भारांक करीब 60-70 आधार अंक कम हो सकता है।
निफ्टी-50 में आरआईएल का भारांक 10 फीसदी से ज्यादा है, जिसे 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा परिसंपत्ति वाले ईटीएफ व पैसिव फंड ट्रैक करते हैं।
एनएसई इंडिसीज ने कहा है कि नए तरीके लागू करने के लिए विशेष प्री-ओपन सेशन की दरकार होगी।
इसके तहत अलग की जाने वाली इकाई को उसकी सूचीबद्धता के तीसरे दिन अलग कर दी जाएगी। एनएसई इंडिसीज ने अलग होने वाली इकाई की कीमत तक पहुंचने के लिए एक फॉर्मूला भी सामने रखा है।
पिछले साल एनएसई इंडिसीज ने एचडीएफसी बैंक व एचडीएफसी के विलय की घोषणा के आसपास इंडेक्स कंप्यूटेशन के तरीके में बदलाव किया था।
अगर यह बदलाव नहीं किया गया होता तो दोनों शेयर इंडेक्स से बाहर हो जाते और निफ्टी से करीब 50,000 करोड़ रुपये की निकासी होती। अभी इंडेक्स में एचडीएफसी बैंक का भारांक 9.1 फीसदी है और एचडीएफसी का 6.2 फीसदी।