अप्रैल के निचले स्तर से जोरदार तेजी के साथ निफ्टी-50 इंडेक्स अभी तक करीब 13 फीसदी चढ़ा है। ऐसे में बर्नस्टीन के विश्लेषकों को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था के मिले-जुले संकेतों के बीच बाजार मजबूती के दौर में जा सकता है। बर्नस्टीन ने कैलेंडर वर्ष के आखिर में निफ्टी-50 का लक्ष्य 26,500 पर बरकरार रखा है जो मौजूदा स्तर से महज 5.1 फीसदी ज्यादा है।
बर्नस्टीन के प्रबंध निदेशक और भारतीय शोध प्रमुख वेणुगोपाल गैरे ने निखिल अरेला के साथ लिखे नोट में कहा है, यह सीधे ही उस स्तर तक नहीं जाएगा। हमें अगले कदम से पहले इसके कुछ मजबूती लेने की उम्मीद है। सेक्टर के नजरिए से हम कुछ दांव यूटिलिटी से स्टेपल की ओर कर रहे हैं और थोड़े समय के लिए रणनीतिक रूप से ज्यादा वेटेज की ओर बढ़ रहे हैं। रणनीति के तौर पर उन्होंने यूटिलिटी सेक्टर को इक्वल वेट कर दिया है। वित्तीय, टेलिकॉम और डिस्क्रिशनरी उनके ओवरवेट सेक्टर बने हुए हैं।
बर्नस्टीन ने आगाह किया कि इस बात के संकेत बढ़ रहे हैं कि आर्थिक रफ्तार नरम हो रही है और यह नियमित रूप से आने वाले हाल के संकेतकों में दिखता भी है। औद्योगिक गतिविधियों में नरमी लग रही है क्योंकि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक मई में नौ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया और कोर सेक्टर में भी इसी तरह की गिरावट देखी गई। अप्रैल-मई में बिजली की मांग और तेल व गैस उत्पादन में नरमी आई है जबकि यात्री वाहनों की बिक्री सुस्त बनी हुई है। हवाई यातायात की वृद्धि भी नरमी के संकेत दे रही है। ऋण वृद्धि में भी नरमी आई है।
हालांकि, कुछ मजबूत रुझान भी हैं। इस्पात और कोयला उत्पादन ने हाल के औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है। सीमेंट भी मज़बूत है। इसे आंशिक रूप से पेटकोक की बढ़ती खपत से सहारा मिला है। उपभोक्ता मोर्चे की बात करें तो एफएमसीजी और खुदरा क्षेत्र की कई उपभोक्ता कंपनियों ने वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही के बारे में सकारात्मक टिप्पणियां की हैं और उन्होंने बिक्री वृद्धि में तिमाही आधार पर सुधार की बात कही है।
पिछले कुछ हफ़्तों में बिजली की मांग में तेजी आई है।