साल की शुरुआत अस्थिरता के साथ होने के बाद बेंचमार्क निफ्टी-50 सूचकांक ने कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली तिमाही की समाप्ति करीब 8 फीसदी बढ़त के साथ की। इस दौरान निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप सूचकांकों ने क्रमश: 1.8 फीसदी और 4.4 फीसदी की मामूली बढ़त हासिल की।
बाजार के प्रदर्शन पर शुरुआत में अमेरिकी व्यापार टकराव, बढ़ते भूराजनीतिक जोखिम और वैश्विक वृद्धि के अनिश्चित परिदृश्य का असर पड़ा और अप्रैल तक निफ्टी-50 में 8 फीसदी तक की गिरावट आ गई थी। उसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नरमी, कमजोर अमेरिकी डॉलर और अमेरिका-भारत व्यापार समझौते की संभावना के चलते मजबूत रिकवरी हुई। लेकिन महंगे भावों के कारण व्यापक बाजार पिछड़े रहे।
वित्तीय शेयरों, खास तौर से बैंकों ने, तेजी की अगुआई की। निर्यात पर निर्भर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के शेयरों का प्रदर्शन कमजोर रहा। देसी संस्थागत निवेश 3 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया, जिसने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की पहली छमाही में हुई 80,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली की भरपाई कर दी।