HSBC ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने पिछले 20 वर्षों में से 15 में उभरते बाजारों (ईएम) के मुकाबले और 14 वर्षों में विकसित बाजारों के मुकाबले उम्दा प्रदर्शन किया है। एचएसबीसी ने कहा है कि देसी इक्विटी बाजार की तरह कोई दूसरा बाजार नहीं है।
एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च के नोट में कहा गया है, एफटीएसई इंडिया इंडेक्स ने पिछले दो दशक में डॉलर के लिहाज से सालाना 11 फीसदी चक्रवृद्धि की दर से बढ़त दर्ज की है। इसकी तुलना में एफटीएसई एशिया की रफ्तार 5.7 फीसदी, एफटीएसई ईएम 5.3 फीसदी और एफटीएसई डीएम 6.2 फीसदी रही है। नोट में कहा गया है, वैश्विक बाजार के कुल पूंजीकरण में भारत की हिस्सेदारी दो दशक पहले एक फीसदी से भी कम था, जो अब 3.6 फीसदी से ज्यादा हो गया है।
नोट के मुताबिक, विदेशी निवेशक इसे बड़ा, लिक्विड और देसी कारकों से आगे बढ़ने वाले बाजार के तौर पर देखते हैं, जिसका लंबी अवधि का परिदृश्य उम्दा है।
नोट में कहा गया है कि विदेशी निवेशकों ने पिछले दो दशकों में लगातार खरीदारी की है। लेकिन वैश्विक स्तर पर किसी जोखिमपूर्ण घटनाक्रम के समय उनमें बिकवाली की प्रवृत्ति रही है। दूसरी ओर, देसी निवेशक पिछले छह-सात वर्षों में धीरे-धीरे सबसे बड़े बाजार भागीदार के तौर पर उभरे हैं। साल 2015 से देसी संस्थागत निवेशकों का निवेश विदेशी निवेशकों के मुकाबले दोगुने से ज्यादा रहा है।
नोट के मुताबिक, ज्यादा देसी निवेश घरेलू म्युचुअल फंडों की अगुआई में हुआ है, जो एसआईपी, बचत योजना के जरिए देसी घरेलू बचत को इक्विटी में लगाने में अहम कड़ी के तौर पर उभरे हैं, जहां निवेशक नियमित तौर पर मासिक भुगतान करते हैं। यह सकारात्मक है क्योंकि यह उच्च उतारचढ़ाव के दौर में बाजार को सहारा देता है क्योंकि ये निवेशित रहते हैं और अहम बिकवाली के जोखिम में कमी लाते हैं, अगर निवेशक ज्यादा रिटर्न की जगह पूंजी के संरक्षण को तवज्जो देते हैं।
महंगे बाजार मूल्यांकन ने बार-बार निवेशकों को चिंतित किया है। इसके बावजूद मूल्यांकन के प्रीमियम स्तर पर भी बाजार ने उचित कीमत वाले शेयरों की पेशकश की है। ब्रोकरेज ने पाया है, समकक्ष बाजारों के मुकाबले भारत मजबूत परिदृश्य व इक्विटी पर उम्दा रिटर्न के साथ मजबूती से खड़ा है, जो उसे प्रीमियम मूल्यांकन में सक्षम बनाता है। एचएसबीसी का अनुमान है कि अगले दो साल में आय में बढ़त की रफ्तार मिड-टीन (13 से 19) बनी रहेगी। इसके साथ ही इक्विटी पर उम्दा रिटर्न भारत को क्षेत्र में अहम बनाता है।
नोट के मुताबिक, उदाहरण के लिए हालिया महीनों में बाजार की मजबूत चाल के बावजूद वित्तीय व कंज्यूमर डिश्क्रिश्नरी अपने पांच साल के औसत के मुकाबले अभी भी छूट पर कारोबार कर रहे हैं।
बढ़ता मध्य वर्ग टिकाऊ उपभोक्ता, आभूषण, वस्त्र या सौंदर्य प्रसाधन, वाहन आदि की मांग में इजाफा करता है। साथ ही होटल, सिनेमा व शॉपिंग मॉल जाकर खर्च करता है। म्युचुअल फंडों व अन्य वित्तीय योजनाओं की मांग मजबूत होती है।