विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने मार्च के दूसरे पखवाड़े में ऊर्जा, वित्त और सूचना प्रौद्योगिकी के करीब 11,000 करोड़ रुपये के शेयर निकाल दिए हैं। Primeinfobase द्वारा संकलित डेटा के मुताबिक तेल, गैस और उपभोक्ता ईंधन के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के करीब 4,524 करोड़ रुपये के शेयर बिके और इसके बाद वित्तीय सेवाओं (3,346 करोड़ रुपये) और आईटी (3,133 करोड़ रुपये) क्षेत्र का स्थान रहा।
वाहन (439 करोड़ रुपये) और दूरसंचार (268 करोड़ रुपये) उन अन्य क्षेत्रों में शामिल हैं जहां विदेशी निवेशकों ने शेयरों की बिक्री की। FPI ने मार्च के दूसरे पखवाड़े में शुद्ध आधार पर करीब 4,638 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की। ऊर्जा क्षेत्र में सबसे ज्यादा शेयरों की बिक्री रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) में हुई और पश्चिमी देशों में बैंकों के संकट के चलते आईटी शेयरों की बिक्री हुई।
मुंबई की शोध एवं सलाहकार कंपनी इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोक्कालिंगम का कहना है, ‘कई बड़े आईटी खिलाड़ियों के राजस्व में एक-तिहाई हिस्सेदारी वित्तीय क्षेत्र की है। पश्चिमी देशों के बैंकिंग संकट से उन्हें परेशानी हो सकती है।’ इस बीच FPI ने करीब 1,731 करोड़ रुपये की पूंजीगत वस्तुओं की कंपनियों से जुड़े शेयर, 1,140 करोड़ रुपये की विनिर्माण सामग्री से जुड़ी कंपनियों के शेयर और 1,199 करोड़ रुपये के निर्माण कंपनियों के शेयर खरीदे। FMCG के करीब 1,130 करोड़ रुपये के शेयर, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं (850 करोड़ रुपये) के शेयर भी इसी अवधि के दौरान खरीदे गए।
पूरा जोर पूंजीगत वस्तुओं और विनिर्माण पर है क्योंकि सरकार का जोर भी पूंजीगत खर्च पर बढ़ रहा है और इसके अलावा उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं पर भी जोर दिया जा रहा है। FMCG शेयरों की खरीद में तेजी आई क्योंकि निवेशक सुरक्षा के लिहाज से इन शेयरों की खरीदारी करते हैं।
चोक्कालिंगम का कहना है, ‘FMCG में कारोबारी वृद्धि एकल अंक में है। उच्च ब्याज दरों के माहौल में FMCG की खरीदारी बेहतर है। संभवतः एफपीआई का मानना हो सकता है कि दरों के चक्र में अभी तेजी नहीं आई है।’
बिक्री के बावजूद वित्तीय सेवाओं को सेक्टर के लिहाज से आवंटन करीब 33.5 फीसदी के स्तर पर है जो पहले पखवाड़े की तुलना में 33.07 फीसदी तक है। वहीं अधिक FPI आवंटन वाले क्षेत्रों में आईटी (10.97 फीसदी) और ऊर्जा (10.11 फीसदी) है।