सेंसेक्स 80,000 अंकों के आसपास कारोबार कर रहा है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के प्रमुख (इक्विटी फंड) गौतम सिन्हा रॉय ने ईमेल इंटरव्यू में पुनीत वाधवा को बताया कि भविष्य में आय वितरण शेयर रिटर्न के लिए मुख्य वाहक होगा और मूल्यांकन में कुछ नरमी संभव है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
-क्या आप 4 जून के निचले स्तर से बाजार में आई तेजी को तर्कहीन उत्साह कहना चाहेंगे?
इक्विटी बाजार में अल्पावधि उतार-चढ़ाव अक्सर नकदी प्रवाह और धारणा में बदलाव पर केंद्रित होते हैं। चुनाव खत्म होने के बाद, घरेलू प्रवाह और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की वापसी से बाजार में नई जान आ गई है। साथ ही, बाजार धारणा अगले पांच वर्षों के लिए नीतिगत निरंतरता को स्वीकार करती दिख रही है, जो निवेश आधारित जीडीपी वृद्धि का समर्थन करती है।
बाजार का ध्यान धीरे धीरे आय और मूल्यांकन पर केंद्रित होगा। बाजार आय अगले दो वित्त वर्षों के दौरान ‘अर्ली टींस’यानी करीब 18 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो पिछले तीन वर्षों में सालाना 20 प्रतिशत रही। इसलिए, हमें भविष्य में बाजार रिटर्न कुछ हद तक प्रभावित होने का अनुमान है।
-बजट से आपकी/बाजार की क्या उम्मीदें हैं?
जुलाई में आने वाला बजट अगले पांच साल की नीति की दिशा तय करेगा। सरकार से उम्मीद है कि वह बुनियादी ढांचे और कल्याणकारी खर्च के बीच संतुलन बनाए रखेगी। हमें उम्मीद है कि कराधान ढांचा अनुकूल रहेगा और कोई बड़ा व्यवधान पैदा नहीं करेगा।
जहां पिछले तीन वर्षों में रियल एस्टेट बाजार में सुधार आा है, वहीं किफायती आवास क्षेत्र (कम आय वर्ग के लिए बेहद महत्वपूर्ण) पर दबाव दिखा है और इसे कुछ नीतिगत समर्थन की आवश्यकता हो सकती है।
-मिडकैप और स्मॉलकैप पर आपका क्या नजरिया है?
पिछले तीन वर्षों (वित्त वर्ष 2021-2024) में मिडकैप की आय करीब 25 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ी। इस अवधि के दौरान, मिडकैप सूचकांक ने कुछ हद तक बेहतर रिटर्न दिया और अब इसकी एक साल की अग्रिम आय का 30 गुना पुनर्मूल्यांकन किया गया है, जो कि दीर्घावधि औसत की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक है।
स्मॉलकैप सूचकांक भी इसी तरह के ट्रेंड पर अमल कर रहा है। भले ही अनुकूल घरेलू निवेशक धारणा काफी हद तक बरकरार है, लेकिन ऊंचे मूल्यांकन से कुछ चिंताएं पैदा हो रही हैं। भविष्य में आय वितरण शेयर रिटर्न के लिहाज से मुख्य वाहक होगा।
-भारतीय शेयरों पर विदेशी निवेशकों का नजरिया कैसा रहेगा?
एफआईआई ने कैलेंडर वर्ष 2023 में 21.3 अरब डॉलर की खरीदारी की, जबकि कैलेंडर वर्ष 2022 में उन्होंने 17 अरब डॉलर के शेयर बेचे। कैलेंडर वर्ष 2024 में, वे मई तक शुद्ध बिकवाल रहे, लेकिन जून में शुद्ध खरीदार बन गए। मार्च 2024 तक, एनएसई में सूचीबद्ध शेयरों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) स्वामित्व घटकर 18 प्रतिशत कम रह गया, जो पिछली 47 तिमाहियों में सबसे कम है।
-घरेलू प्रवाह के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
एफआईआई की स्थिति को देखते हुए, हमें अन्य उभरते बाजारों (ईएम) के मुकाबले भारत की स्थिति को भी देखना होगा। एमएससीआई इंडिया वर्तमान में एमएससीआई ईएम के मुकाबले 72 प्रतिशत वैल्यूएशन प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है, जिससे एफआईआई के लिए भारत की तुलना में अन्य ईएम ज्यादा आकर्षक बन गए हैं। भारतीय बचतकर्ताओं के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव आया है। वे अब अन्य वित्तीय परिसंपत्तियों के मुकाबले इक्विटी में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं।