रिजर्व बैंक से दवा की आस जोह रहे बाजार की हालत उस समय खराब हो गई, जब मौद्रिक नीति के पिटारे से उसके लिए कुछ भी नहीं निकला।
इसके चलते दूसरी सबसे बड़ी गिरावट में दिवाली के चंद दिनों पहले ही निवेशकों का दिवाला निकल गया। सेंसेक्स करीब 1,100 अंक लुढ़क कर उन्हें एक ही दिन में 3,00,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगा गया।
ब्याज दरों में कटौती की आस लगाए बजार में रिजर्व बैंक की ओर से कोई पहल नहीं किए जाने से भारी बिकवाली की चपेट में आ गया और सेंसेक्स-निफ्टी, दोनों तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गए।
एक ओर जहां रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति बाजार को रास नहीं आई, वहीं ओपेक बैठक में नवंबर से 15 लाख बैरल रोजाना कम तेल उत्पादन करने और डॉलर के मुकाबले रुपये के 50 के स्तर को पार करने ने भी बाजार को बेजार किया।
शुक्रवार को कारोबार की शुरुआत से ही बाजार में गिरावट का रुख रहा। हालांकि बीच में बाजार ने थोड़ी वापसी का प्रयास किया, लेकिन बाद में बिकवाली जोर पकड़ने से यह भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। सेंसेक्स 1070.07 अंकों की गिरावट के साथ 8,701.07 के स्तर पर बंद हुआ।
9771.70 (23 अक्टू.)
पांच गहरे सदमे
21 जनवरी, 2008 : 1,408.35 अंक
24 अक्टूबर, 2008 : 1070.63 अंक
17 मार्च, 2008 : 951.03 अंक
22 जनवरी, 2008 : 857 अंक
11 फरवरी, 2008 : 833.98 अंक
बड़ी गिरावट, जब कारोबार रोकना पड़ा
22 मई, 2006 : 1100 अंक
17 अक्टूबर, 2007 : 1744 अंक
22 जनवरी, 2008 : 2,273 अंक
8701.07 (24 अक्टू.)
जिनके शेयर हुए धराशायी
डीएलएफ : 24 फीसदी
रैनबैक्सी और हिंडाल्को : 17.5 फीसदी
टाटा मोटर्स, रिलायंस और महिंद्रा एंड महिंद्रा : 16 फीसदी
रिलायंस कम्यु., आईसीआईसीआई बैंक और ओएनजीसी : 15 फीसदी
रिलायंस इन्फ्रा, टाटा स्टील, टाटा पावर, स्टरलाइट : 14 फीसदी
वक्त के सितम, यूं ही कम न थे…
दुनियाभर के बाजारों के बुरे हाल ने डराया
विदेशी संस्थागत निवेशक जुटे पैसा वापस निकालने में
आशंकित खुदरा निवेशक भी जुटे बिकवाली में
कच्चे तेल का उत्पादन घटाकर ओपेक ने फिर लगाई चिंगारी
रुपया भी रूठ कर 50 के पार
…ऐसे में बागबां ने भी तोड़ा दिल
समीक्षा में रिजर्व बैंक ने प्रमुख दरों में नहीं की कोई कमी
साल 2008-09 के लिए आर्थिक विकास दर का अनुमान घटाकर 7.5-8 फीसदी किया
सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर की रफ्तार में भी जताई कमी