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Stock Market : लगातार आठवें दिन सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट, मई 2019 के बाद गिरावट का सबसे लंबा सिसिला

Last Updated- February 28, 2023 | 9:59 PM IST
Share Market

भारतीय इक्विटी बेंचमार्क में लगातार आठवें कारोबारी सत्र में गिरावट दर्ज हुई, जो मई 2019 के बाद गिरावट का सबसे लंबा दौर है क्योंकि अमेरिका व यूरोप के आर्थिक आंकड़ों ने लंबे समय तक आक्रामक मौद्रिक नीति बने रहने की संभावना बढ़ा दी है।

बेंचमार्क सेंसेक्स 326 अंक टूटकर 58,962 पर बंद हुआ। दूसरी ओर निफ्टी 88 अंक फिसलकर 17,304 पर बंद हुआ। पिछले आठ कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 3.8 फीसदी और निफ्टी 4.1 फीसदी टूटा है।

फ्रांस व स्पेन में महंगाई के बढ़ते आंकड़ों ने यूरोपीय सेंट्रल बैंक की तरफ से फरवरी 2024 के आखिर तक 4 फीसदी की सर्वोच्च दर की संभावना बढ़ा दी है जबकि साल की शुरुआत में इसके 3.5 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया था। इससे बॉन्ड प्रतिफल उछला और वैश्विक इक्विटी पर गिरावट का दबाव पड़ा।

सोमवार को अमेरिका के आर्थिक आंकड़ों ने ब्याज दरों में मजबूत बढ़ोतरी का मामला बना दिया। अमेरिका में घरों की लंबित बिक्री के आंकड़े जनवरी 2020 के बाद सबसे ज्यादा बढ़े और कारोबारी उपकरणों के लिए फैक्टरियों को दिए गए ऑर्डर में भी इजाफा हुआ।

निवेशक मानकर चल रहे हैं कि अमेरिका में ब्याज दरों का सर्वोच्च स्तर 5.4 फीसदी होगा जबकि पहले इसके 5 फीसदी रहने का अनुमान था।

इस बीच, फेडरल रिजर्व के गवर्नर फिलिप जेफरसन ने सोमवार को अमेरिकी केंद्रीय बैंक के 2 फीसदी महंगाई के लक्ष्य का बचाव किया और कहा कि लक्ष्य में किसी तरह का बदलाव महंगाई के अनुमानों को अस्थिर बना सकता है।

विश्लेषकों ने कहा कि ताजा आर्थिक आंकड़े केंद्रीय बैंकरों को तब तक ब्याज दरें बढ़ाते रहने को प्रोत्साहित करेंगे जब तक कि महंगाई पर लगाम नहीं कसी जाती।

भारतीय बाजारों ने भी लगातार तीसरी मासिक गिरावट दर्ज की, जिसकी वजह दरों में बढ़ोतरी की चिंता, अमेरिकी केंद्रीय बैंक के आक्रामक बयान, भूराजनीतिक तनाव में इजाफा और अदाणी समूह के शेयरों में आई गिरावट है, जिसने निवेशकों को इस महीने परेशान रखा।

जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, निवेश अब सुरक्षित परिसंपत्तियों की तरफ जा रहा है और कंपनियों की आय की रफ्तार घट रही है, जो शेयर बाजार के प्रदर्शन पर असर डाल रहा है और मूल्यांकन की डाउनग्रेडिंग की मांग कर रहा है। भारत के लिए दोहरी मार यह है कि अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले यह महंगा है, जिससे वैश्विक बाजारों में इसका प्रदर्शन कमजोर है।

आठ कारोबारी सत्रों में आई गिरावट से बीएसई में सूचीबद्ध‍ कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 10.6 लाख करोड़ रुपये घटकर 258 लाख करोड़ रुपये रह गया है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मंगलवार को 4,559 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जो मुख्य तौर पर एमएससीआई सूचकांकों के पुनर्संतुलन की कवायद के कारण हुई। देसी संस्थान 4,610 करोड़ रुपये के शुद्ध‍ खरीदार रहे।

रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अजित मिश्रा ने कहा, बिकवाली के बावजूद बाजारों को राहत नहीं मिल रही है, हालांकि गिरावट की रफ्तार हाल के सत्रों में कम हुई है। हमें उम्मीद है कि निफ्टी 17,100-17,200 के स्तर का सम्मान करेगा, ऐसे में एकीकरण की संभावना ज्यादा है।

पिछले दो हफ्तों में ज्यादातर समय गिरने के बाद ब्रेंट क्रूड मंगलवार को एक फीसदी चढ़ा और 82.6 डॉलर पर ट्रेड कर रहा था। उतारचढ़ाव की माप करने वाला इंडिया वीआईएक्स आठ सत्रों में 8.8 फीसदी चढ़ा है।

बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा और बीएसई पर 1,808 शेयर टूटे जबकि 1,655 में बढ़ोतरी दर्ज हुई। सेंसेक्स के दो तिहाई से ज्यादा शेयरों में गिरावट आई। रिलायंस इंडस्ट्रीज 2 फीसदी टूटा और सेंसेक्स के नुकसान में सबसे ज्यादा योगदान किया।

First Published - February 28, 2023 | 9:59 PM IST

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