देसी शेयर बाजार में लगातार दूसरे दिन तेजी आई और करीब दो महीने बाद आज सेंसेक्स एक बार फिर 50,000 तथा निफ्टी 15,000 अंक का आंकड़ा पार कर गया। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण के मामले कम होने से वाहन और बैंकिंग शेयरों में जबरदस्त तेजी आई, जिससे सूचकांक उछल पड़े।
अमेरिकी डॉलर में कमजोरी आने से एशिया के अधिकतर बाजार बढ़त पर बंद हुए। ताइवान के बाजारों ने गिरावट के बाद अच्छी वापसी की।
बेंचमार्क सेंसेक्स 612 अंक या 1.2 फीसदी चढ़कर 50,193 पर बंद हुआ। 1 अप्रैल के बाद सेंसेक्स पहली बार 50,000 से ऊपर बंद हुआ है। निफ्टी भी 185 अंक चढ़कर 15,108 पर बंद हुआ। 12 मार्च के बाद निफ्टी पहली बार 15 हजार के ऊपर बंद हुआ है। इस हफ्ते के दो कारोबारी सत्रों में बेंचमार्क सूचकांकों में करीब 3 फीसदी की तेजी आई है। पिछले 24 घंटे में पूरे देश में कोविड-19 संक्रमण के 2,63,533 नए मामले सामने आए। लगातार दूसरे दिन नए मामलों की संख्या 3 लाख से कम रही है। विश्लेषकों का कहना है कि घटते मामलों से उम्मीद जगी है कि दूसरी लहर का चरम पीछे छूट चुका है और अब मामले लगातार घटेंगे। बाजार पर भी इसका असर देखा जा रहा है। अगले कुछ हफ्तों में अर्थव्यवस्था सामान्य होने की संभावना से भी निवेशकों का उत्साह बढ़ा है। अवेंडस कैपिटल ऑल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्र्यू हॉलैंड ने कहा, ‘कुछ समय से घरेलू बाजार का प्रदर्शन कमजोर रहा है। लेकिन संक्रमण के घटते मामलों ने उम्मीद जगाई है। महज दो दिन मामले घटने से यह तो पता नहीं चलता कि आगे हालात कैसे रहेंगे मगर सही दिशा में चल रहे हैं।’
विश्लेषकों का कहना है कि जून तिमाही में कमजोर प्रदर्शन और वित्त वर्ष 2022 के वृद्घि अनुमान में तीव्र गिरावट की चिंता भी अब कम हुई है। रिलायंस सिक्योरिटीज में स्ट्रैटजी प्रमुख विनोद मोदी ने कहा, ‘हमें लगता है कि दैनिक संक्रमण के घटते मामलों से निवेशकों को राहत मिलती रहेगी। इससे संकेत मिलता है कि मई के अंत या जून के मध्य तक कोविड की दूसरी लहर का असर कम हो जाएगा और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के बाद प्रतिकूल प्रभाव महसूस नहीं होगा।’ लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि मौत के बढ़ते आंकड़े, टीकाकरण की सुस्त रफ्तार तथा गांवों में संक्रमण का प्रसार चिंता बढ़ाने वाली है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति में सख्ती नहीं लाए जाने की उम्मीद से भी निवेशकों का मनोबल बढ़ा है। सोमवार को फेडरल रिजर्व के वाइस चेयरमैन रिचर्ड क्लारा ने कहा था कि रोजगार के आंकड़े दर्शाते हैं कि अर्थव्यवस्था अभी उस स्तर तक नहीं पहुंची है कि बॉन्ड खरीद वापस ली जाए। प्रमुख वैश्विक मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर के कमजोर पडऩे से भी निवेशकों का मनोबल बढ़ा है। डॉलर कमजोर होता है तो भारत समेत उभरते बाजारों में निवेश फायदेमंद हो जाता है। इसीलिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने आज 618 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और देसी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 450 करोड़ रुपये की लिवाली की।
विशेषज्ञों के अनुसार निकट भविष्य में भारतीय शेयर बाजार को वैश्विक घटनाक्रम से दिशा मिल सकती है।