मारुति सुजूकी इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी हिसाशी ताकेउची ने आज कहा कि भारत का वाहन पुर्जा निर्यात ‘बड़ी चुनौती’ से जूझ रहा है क्योंकि अमेरिका को भेजी जाने वाली लगभग 30 प्रतिशत खेपों पर अब 25 से 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लग रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी दीर्घकालिक विनिर्माण प्रतिस्पर्धी क्षमता मजबूत करने के लिए ‘नीतिगत स्थिरता और पूर्वानुमान’ का लगातार प्रदर्शन करते रहना चाहिए।
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एक्मा) के वार्षिक सत्र में अपने भाषण में ताकेउची ने कहा कि अमेरिकी शुल्कों ने आपूर्तिकर्ताओं पर दबाव डाला है, क्योंकि भारत के पुर्जा निर्यात का बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि भारत और वाशिंगटन बातचीत कर रहे हैं तथा ‘सरकार इस मसले के प्रति बहुत संवेदनशील है और उम्मीद है कि कोई समाधान निकल आएगा।’
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों – ‘आपदा में अवसर’ को याद करते हुए कहा कि प्रतिकूलता को अवसर में बदला जा सकता है।
ताकेउची ने जोर देकर कहा, ‘लगभग 30 प्रतिशत वाहन पुर्जा निर्यात अमेरिका को होता है और इसमें से करीब आधे हिस्से को अब 25 प्रतिशत और शेष आधे हिस्से को 50 प्रतिशत शुल्क का सामना करना पड़ रहा है। यह बड़ी चुनौती खड़ी हो रही है।’
मारुति सुजूकी के प्रमुख ने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में मौजूदा उथल-पुथल ने भारत के लिए विश्वसनीय, मजबूत और टिकाऊ विनिर्माण केंद्र के रूप में अपनी हैसियत बनाने के असाधारण अवसर खोले हैं। उन्होंने भारत के जनसांख्यिकी संबंधी लाभ, दमदार घरेलू मांग और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई), मेक इन इंडिया तथा आत्मनिर्भर भारत जैसी सरकारी पहलों का उल्लेख किया।
ताकेउची ने सुजूकी मोटर कॉर्पोरेशन द्वारा भारत में अपना पहला वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन – ई-विटारा बनाने के फैसले को दुनिया के बाजारों में देश की बढ़ती हैसियत का प्रमाण बताया। प्रधानमंत्री ने इस साल की शुरुआत में सुजूकी के गुजरात संयंत्र में निर्यात के लिए ई-विटारा की पहली खेप को हरी झंडी दिखाई थी। उन्होंने कहा, ‘ये मेड इन इंडिया इलेक्ट्रिक वाहन दुनिया भर के 100 से ज्यादा देशों में निर्यात किए जाएंगे। विविधता लाना और किसी एक ही बाजार पर अत्यधिक निर्भरता से बचना आवश्यक है।’
युद्ध के बाद जापान के औद्योगीकरण से सबक लेते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दीर्घकालिक सफलता अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) के निवेश, ग्राहकों पर केंद्रित नवाचार और निरंतर सुधार पर निर्भर करती है।
उन्होंने तर्क दिया कि भारत को भी प्रशासन में निरंतरता सुनिश्चित करते हुए इसी तरह की रणनीतियां अपनानी चाहिए। ताकेउची ने कहा, ‘चूंकि भारत की आकांक्षा वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की है, इसलिए नीतिगत स्थिरता और पूर्वानुमान क्षमता का निरंतर प्रदर्शन महत्त्वपूर्ण होगा।’