भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का नया नेतृत्व नियमन हटाने के दृष्टिकोण पर जोर दे रहा है और इसके साथ-साथ प्रशासन को मजबूत बनाने पर ध्यान दे रहा है। इसका अंदाजा बाजार नियामक की हाल की बोर्ड बैठक के कुछ प्रमुख निर्णयों से लगाया जा सकता है। सेबी प्रमुख तुहित कांत पांडेय ने नियामकीय बदलावों के ‘लागत असर’ पर जोर दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि यह नियामक के पहले के तेजी वाले दृष्टिकोण से अलग है।
अधिकारी के तौर पर करियर गुजारकर नियामक बने पांडेय ने सोमवार को कहा, ‘अगर किसी वैकल्पिक दृष्टिकोण से जोखिम के साथ समझौता किए बगैर कारोबार की राह आसान हो सकती है तो हमें उसकी संभावना देखेंगे। नियामकीय बदलाव आसान और स्पष्ट होने चाहिए।’ हालांकि उन्होंने बाजार तंत्र को अनावश्यक बोझ से बचाने के लिए सतर्क दृष्टिकोण पर जोर दिया।
सोमवार को सेबी का नरम रुख देखने को मिला। बाजार नियामक ने स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन जैसे मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थानों (एमआईआई) में प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों (केएमपी) की नियुक्ति की निगरानी के प्रस्ताव को टाल दिया। उसने निवेश बैंकरों और कस्टोडियन को नियंत्रित करने वाले नियमों में सख्त बदलावों पर अमल को भी स्थगित कर दिया, इसके लिए उसने अनावश्यक जटिलताओं और गैर-जरूरी लागत के जोखिम का हवाला दिया।
इसके अलावा, सेबी ने दिसंबर की अपनी बैठक में लिए गए पिछले फैसलों को पलट दिया, जिनमें रिसर्च एनालिस्ट (आरए) और इन्वेस्टमेंट एडवाइजर (आईए) के लिए अग्रिम शुल्क संग्रह अवधि को क्रमशः तीन और छह महीने तक सीमित कर दिया गया था। राहत देते हुए इस अवधि को एक साल किया गया। पांडेय ने कहा, ‘नियमों को जारी करने से पहले उन पर समय लेना और उन्हें बेहतर करना जरूरी है।’
विश्लेषकों ने इस बदलाव की प्रशंसा की है। सेबी के पूर्व पूर्णकालिक सदस्य एमएस साहू ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि सेबी बोर्ड नियमन हटाने और प्रशासन मजबूत करने पर ध्यान दे रहा है।’ कानूनी और उद्योग जगत ने तो इसे नियामक के पिछले दृष्टिकोण से एक स्पष्ट यू-टर्न बताया है।
बोर्ड मीटिंग में कैटेगरी 2 के वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) के लिए भी छूट दी गई और डेट सेगमेंट में उन्हें निवेश की इजाजत दी गई। बेशक, यह और सोमवार की कुछ अन्य घोषणाओं का महीनों पहले प्रस्ताव किया
गया था।
फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के संदीप पारेख ने कहा, ‘नया नियम जोखिम वाले सूचीबद्ध ऋण (ए रेटिंग से नीचे) को निवेश के उद्देश्य से गैर-सूचीबद्ध मानता है जो एक स्मार्ट कदम है। मुझे उम्मीद है कि इससे एआईएफ क्षेत्र में हल्के नियमन का रास्ता प्रशस्त होगा।’ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को भी राहत मिली है। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर आगे पुनर्विचार की आवश्यकता है।