भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) इक्विटी म्युचुअल फंडों पर कराए गए उद्योग-व्यापी स्ट्रेस टेस्ट की रिपोर्ट जल्द ही प्रकाशित करेगा। टेस्ट में संक्षिप्त अवधि में बड़ी मात्रा में रिडम्प्शन पूरा करने के लिए आवश्यक दिनों की संख्या का आकलन किया गया है। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने संकेत दिया कि शुरुआती निष्कर्ष उत्साहजनक हैं, लेकिन कुछ चेतावनियां भी हैं।
नारायण ने ‘कैफे म्युचुअल’ के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि म्युचुअल फंडों की होल्डिंग में शेयरों में भारी इजाफा होने के बावजूद संभावित 10-20 प्रतिशत अचानक रिडम्प्शन पूरा करने के लिए आवश्यक दिनों की संख्या में मार्च 2020 और मार्च 2024 के बीच कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है।
उन्होंने पहले भी उद्योग से जोखिम प्रबंधन के लिए इस तरह के स्ट्रेस टेस्ट सक्रियता के साथ खुद ही करने का अनुरोध किया था। फंड कंपनियों ने ‘महंगे मूल्यांकन’ की बढ़ती चिंता के बीच मार्च से हर पखवाड़े स्मॉलकैप योजनाओं के लिए अपने खुद के स्ट्रेस टेस्ट नतीजे बताने शुरू कर दिए हैं।
सेबी ने ऊंचे मूल्यांकन की चिंताओं के बावजूद स्मॉलकैप और मिडकैप फंडों में तेजी से बढ़ रहे निवेश की वजह से ऐसे टेस्ट की जरूरत पर जोर दिया था। टेस्ट का मकसद निवेशकों को जरूरी जानकारियों से अवगत बनाए रखना है। नारायण ने दबाव की अवधि के दौरान म्युचुअल फंडों की बिक्री झेल पाने की सेकंडरी बाजार की क्षमता पर सवाल उठाया क्योंकि अच्छे समय में वे खरीदने के लिए तैयार रहते हैं।
उन्होंने कहा कि फंडों, संस्थागत निवेशकों और व्यक्तियों ने मार्च 2020 से मार्च 2024 के बीच मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों में अपनी शेयरधारिता फ्री-फ्लोट की 54.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 60.6 प्रतिशत कर ली है।
स्ट्रेस टेस्ट में ताजा ट्रेडिंग मात्रा के आधार पर परिसंपत्तियां बेचने के लिए जरूरी दिनों की संख्या की गणना की जाती है। भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) द्वारा तैयार इस टेस्ट में 20 प्रतिशत न्यूनतम लिक्विड होल्डिंग्स हटाने के बाद प्रो-रेटा लिक्विडेशन जैसी शर्तें शामिल हैं।