भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को पी नोट्स जारी करने वालों और शॉर्ट सेलिंग करने वाले कराब 12 विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) से मुलाकात कर विदेशों में होने वाले शेयरों की लेंडिंग और बारोइंग पर चर्चा की।
हालांकि बाजार नियामक उम्मीदों के अनुरूप ही एफआईआई के साथ पेश आया और उसने संदेहास्पद शार्ट सेलर्स के खिलाफ किसी कार्रवाई के बगैर ही बैठक या कहा जाए चर्चा खत्म कर दी।
इससे पहले 17 अक्टूबर को सेबी ने सभी पी नोट जारी करने वाले एफआईआई को पत्र लिखकर इस साल 23 अक्टूबर तक विदेशों में शेयरों को कर्ज के लेन-देन के आंकड़े प्रस्तुत करने को कहा था।
10 अक्टूबर से लेकर 17 अक्टूबर तक घरेलू बाजार में विदेशी बारोइंग के जरिए 1,000 करोड़ रुपये के शेयरों की शॉर्ट सलिंग हुई। इसके चलते बेंचमार्क सूचकांक 12 फीसदी गिरा है।
सेबी ने सोमवार को एफआईआई द्वारा विदेशों में किए जा रहे शेयरों की लेंडिंग और बारोइंग पर नाखुशी जाहिर की थी, लेकिन उसने बुधवार को विदेशों से हुई बारोइंग के जरिए बनी कुछ शेयरों में शॉर्ट पोजीशन को अनवाइंड करने की कोई समय सीमा तय नहीं की है।
सेबी के एक अधिकारी ने इस बारे में बताया कि सेबी ने एफआईआई को चेतावनी देकर अपनी विदेशों से शेयरों के इस तरह के लेन-देन से तत्काल बाज आने को कहा है। भारत में भी इस तरह व्यवस्था है जिसका उपयोग करके वे शॉर्ट सेलिंग कर सकते हैं। ज्ञातव्य है कि इस बारे में सेबी द्वारा कुछ कार्रवाई न किए जाने से बाजार में कारोबार करने वाले खासे नाखुश थे। उनकी आपत्ति है इससे घरेलू निवेशकों के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है जबकि एफआईआई इसका सीधा लाभ ले रहे हैं।
एक घरेलू म्युचुअल फंड के मैनेजर का कहना है कि इस बात के ढेरों प्रमाण हैं कि विदेशों में हुए संदेहास्पद सौदों के कारण भारत में शॉर्ट सलिंग हुई है। इसके बाद भी सेबी का इन पर कोई कार्रवाई न करना बेहद आश्चर्यजनक है। के. आर. चौकसी ब्रोकर के प्रबंध निदेशक देवेन चौकसे ने इस बारे में बताया कि यह घरेलू निवेशकों के साथ अन्याय है।
बाजार के सभी कारोबारियों एक समान लेवल उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है। हालांकि शॉर्ट सेलिंग की जरूरत है। सेबी कम से कम इतना तो कर रही सकती है कि वह कारोबारियों को वायदा और विकल्प बाजार का दुरुपयोग करने से रोकने के लिए डेरिवेटिव सेगमेंट में एक डिलेवरी पर आधारित सेटलमेंट सिस्टम बनाए।
जिन कारोबारियों ने सोमवार और मंगलवार को शॉर्ट कवरिंग के जरिए बाजार को पांच फीसदी ऊपर जाने में मदद की थी आज सेबी के नरम पड़ने से इसे पांच फीसदी नीचे खींच लिया।
उन्होंने संकेत दिया कि उन्हें अपनी पोजीशन वनवाइंड करने की जल्दी नहीं है। करने का निवेदन कर सकती हैं। इस बारे में सबसे बड़ी बात यह होगी कि कंपनियां डिफाल्टर हो जाएं।