नकदी की किल्लत झेल रही म्युचुअल फंड कंपनियों को राहत पहुंचाने के मकसद से सेबी ने नियत अवधि जमा योजना के नियमों में तब्दीली करने की योजना बना रही है।
सेबी ने तय किया है कि अब ऐसी योजनाओं से समय पूर्ण होने से पहले रकम की निकासी आसान नहीं होगा। इससे संकट में फंसी म्युचुअल फंडों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
मौजूदा नियम के मुताबिक, निवेशक नियत अवधि वाली जमा योजनाओं से कभी भी कुल परिसंपत्ति मूल्य का 2 फीसदी भुगतान करने के बाद योजना को बंद कर अपनी रकम निकाल सकता है। सेबी की योजना है कि अब नई नियत अवधि वाली योजनाओं से बिना समय पूरा किए निकासी संभव नहीं होगी।
सेबी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि नई योजनाओं में कुछ इस तरह का नियम जोड़ा जाएगा, जिससे योजना अवधि पूरा होने से पहले धन की निकासी संभव नहीं होगी। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह नियम इसलिए लागू करने की बात की जा रही है, क्योंकि नियत अवधि जमा योजनाओं को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराई जा सके।
और इसके लिए यह आवश्यक है कि इस तरह की योजना में निकासी का विकल्प न हो। सूत्रों के मुताबिक, अगर निवेशक इस योजना को छोड़ना चाहे, तो उसे अपनी यूनिट या शेयर को कम दर पर बेचना होगा।
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर माह में जब बंबई शेयर बाजार में करीब 23 फीसदी की गिरावट आई थी, तब नियत अवधि वाली योजनाओं से निवेशक भारी मात्रा में धन निकाल रहे थे। इससे म्युचुअल फंड कंपनियों को नकदी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा था।
अक्टूबर के अंत तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, नियत अवधि जमा योजनाओं की कुल औसत मूल्य करीब 127,080 करोड़ रुपये थी, जबकि एक माह में इसके मूल्य में करीब 10,718 करोड़ रुपये की गिरावट आई थी। म्युयुअल फंड कंपनियों की कुल परिसंपत्ति में नियत अवधि जमा योजना की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी है।
एक फंड मैनेजर का कहना है कि सेबी के इस पहल से फंड प्रबंधन कंपनियों को फायदा होगा, क्योंकि नकदी की किल्लत की स्थिति में उन्हें धन निकासी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
सेबी ने पिछले महीने म्युचुअल फंड कंपनियों से एफएमपी निवेश और निकासी के आंकड़ों का ब्योरा देने को कहा था।
फंड मैनेजर का कहना है कि सेबी इस तरह की योजनाओं के लिए एक दिशा-निर्देश भी तैयार कर रही है और भी लागू किया जा सकता है। ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि कई म्युचुअल फंड कंपनियों ने रियल्टी और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं में निवेश किया था और इन कंपनियों को भारी घाटा उठाना पड़ा है।
सेबी के इस पहल पर निवेशकों का कहना है कि इससे नियत अवधि जमा योजनाओं में निवेश का आकर्षण कम हो जाएगा, क्योंकि इसकी तरलता कम हो जाएगी। निवेशकों का कहना है कि अगर नियत अवधि तक रकम जमा रखना ही है, बैंकों में फि क्स्ड ब्याज दर पर रकम जमा करना कहीं ज्यादा बेहतर औै सुरक्षित होगा।
एफएमपी से समय पूर्व धन निकासी पर पाबंदी लगाने की योजना
नकदी की किल्लत झेल रही म्युचुअल फंड कंपनियों को राहत की उम्मीद