भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सुपीरियर वोटिंग राइट्स (एसआर शेयर) के साथ शेयरों की निर्गम प्रक्रिया को आसान बनाने का प्रस्ताव रखा है। यह एक ऐसी पहल है जिससे नए जमाने की कंपनियों के संस्थापकों को पूंजी उगाही और अपनी कंपनी को सूचीबद्घ बनाने के संदर्भ में ज्यादा स्वायत्तता मिलेगी।
गुरुवार को जारी चर्चा पत्र में सेबी ने मौजूदा ढांचे में उन तीन मुख्य क्षेत्रों पर बाजार प्रतिक्रिया मांगी, जिनमें बदलाव लाया जा सके। इनमें प्रवर्तकों की नेटवर्थ जरूरत, एसआर शेयरों की न्यूनतम शेयरधारिता और एसआर शेयर निर्गमों के लिए पात्र ढांचा शामिल हैं। मौजूदा समय में, एसआर शेयर सिर्फ उन संस्थापकों को ही जारी किए जा सकते हैं जो 500 करोड़ रुपये की संयुक्त नेटवर्थ वाले किसी प्रवर्तक समूह का हिस्सा नहीं हैं। बाजार नियामक सेबी ने प्रतिक्रिया मांगे जाने के लिए चर्चा पत्र में कहा है, ‘सेबी को उस मौजूदा नियम पर बाजार कारोबारियों से प्रतिक्रिया मिली है कि एसआर शेयरधारक को को उस प्रवर्तक समूह का हिस्सा नहीं होना चाहिए जिसकी संयुक्त नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये से ज्यादा है, जिस पर पालन करना चुनौतीपूर्ण भी है।’
इसके अलावा, मौजूदा एसआर शेयर सिर्फ प्रवर्तकों और संस्थापकों को ही दिए जा सकेंगे। सेबी ने कहा है कि ट्रस्टों और अन्य कॉरपोरेट संस्थाओं को भी पात्र बनाया जा सकेगा।
नियामक ने चर्चा पत्र में कहा है, ‘क्या होल्डिंग कंपनियां, पंजीकृत फैमिली ट्रस्ट, भागीदारियों (जिनमें प्रवर्तकों/संस्थापकों को नियंत्रण हासिल हो) को भी एसआर शेयर बनाए रखने की अनुमति दी जा सकेगी, जब तक कि ऐसे प्रवर्तक, संस्थापक, ट्रस्टी जारीकर्ता कंपनी में कार्यकारी पदों पर बने रहें।’