भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के कर्मचारियों ने गुरुवार को बाजार नियामक के मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन करते हुए उस प्रेस विज्ञप्ति को वापस लेने की मांग की जिसमें उनकी शिकायतों को गलत बताने और ‘बाहरी तत्त्वों’ से ‘गुमराह’ होने जैसी बातें कही गईं हैं।
एक अनौपचारिक नोट के मुताबिक सेबी के कर्मचारियों ने बुधवार को सेबी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति वापस लेने की मांग करते हुए लगभग डेढ़ घंटे तक प्रदर्शन किया। साथ ही सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच के तत्काल इस्तीफे की मांग भी की।
सूत्रों का कहना है कि कर्मचारियों ने पूर्णकालिक सदस्यों के साथ बैठक में अपनी यह चिंता जताई थी कि सेबी की प्रेस विज्ञप्ति में चीजों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। इस बैठक के नतीजे की जानकारी अभी तक नहीं मिल सकी है। सभी चार पूर्णकालिक सदस्य इस बैठक में मौजूद थे, हालांकि अध्यक्ष ने इसमें हिस्सा नहीं लिया।
एक वरिष्ठ कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘प्रेस विज्ञप्ति की सामग्री सही नहीं है। इसमें चीजों को सही तरीके से पेश नहीं किया गया है। यह संवाद का सही तरीका नहीं है। इसी वजह से आज के प्रदर्शन का समर्थन सभी अन्य अधिकारियों ने किया।’
उन्होंने कहा, ‘पहले मामले को आंतरिक स्तर पर निपटा लिया जाता था और मीडिया ने इस पत्र को बढ़ा-चढ़ाकर उछाला है। हालांकि अब चिंता प्रेस विज्ञप्ति के कारण है जो सही परिप्रेक्ष्य में चीजों को नहीं दिखा रही है। यह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है।’ एक अन्य अधिकारी का कहना है कि सेबी अब इस चिंता को दूर करने की कोशिश कर रहा है क्योंकि प्रेस विज्ञप्ति ने संवादहीनता पैदा कर दी है।
बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में सेबी भवन के बाहर करीब 300 कर्मचारी जमा हुए थे। कुछ लोगों ने दावा किया कि प्रदर्शन में शामिल विभिन्न ग्रेड के कर्मचारियों की संख्या करीब 500 थी। कर्मचारियों के एक नोट में कहा गया, ‘विरोध का उद्देश्य शीर्ष प्रबंधन द्वारा सभी सेबी कर्मचारियों के खिलाफ एक फर्जी कथ्य (नैरेटिव) के साथ प्रेस विज्ञप्ति के बहाने बांह उमेठने के खिलाफ अपना असंतोष जाहिर करना और कर्मचारियों की एकजुटता दर्शाना था।’ पिछले दो महीने में कर्मचारियों का यह दूसरा विरोध प्रदर्शन है। इससे पहले 5 अगस्त को उन्होंने मौन प्रदर्शन किया था।