भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शुक्रवार को म्युचुअल फंडों को क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (सीडीएस) सेगमेंट में खरीदारों और विक्रेताओं, दोनों के तौर पर शामिल होने की अनुमति दी। बाजार नियामक ने कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में तरलता बढ़ाने के लिए स्वायत्तता पर भी जोर दिया है।
अब तक, म्युचुअल फंडों को सीडीएस सेगमेंट में खरीदार के तौर पर भी अनुमति थी और प्रतिबंधों के कारण उनकी भागीदारी काफी कम थी। इसके अलावा, म्युचुअल फंड केवल एक वर्ष से अधिक अवधि वाली निर्धारित परिपक्वता योजनाओं (एफएमपी) के पोर्टफोलियो में ही ऐसे लेनदेन कर सकते हैं।
सीडीएस व्यवस्था जोखिम घटाने और कम रेटिंग के कॉरपोरेट बॉन्डों में निवेश करने की प्रक्रिया सुगम बनाती है। यह डेरिवेटिव अनुबंध के माध्यम से चूक के जोखिम की अदला-बदली की सुविधा प्रदान करता है और यह बीमा के समान है। सीडीएस निवेशक को अपना क्रेडिट जोखिम अन्य निवेशक के साथ समायोजित करने की अनुमति देती है।
सेबी ने कहा, ‘सीडीएस में भाग लेने की स्वायत्तता म्युचुअल फंडों के लिए एक अतिरिक्त निवेश उत्पाद के तौर पर काम कर सकती है और इससे कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में तरलता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।’
बाजार नियामक ने कुछ जांच और जोखिम प्रबंधन के साथ इस सेगमेंट को म्युचुअल फंड के लिए खोल दिया है।