सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 89 पैसे या 1.08 फीसदी कमजोर हो गया। यह पिछले चार महीने में रुपये में एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट है। अमेरिकी रोजगार के आंकड़े बेहतर रहने से यह खटका पैदा हो गया है कि फेडरल रिजर्व दरों में बढ़ोतरी के दौर को लंबा खींच सकता है। इससे रुपये पर दबाव बढ़ गया ।
रुपया 81.84 रुपये प्रति डॉलर के पिछले बंद भाव के मुकाबले आज 82.73 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। रुपये में 22 सितंबर, 2022 के बाद यह एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट है। आज की गिरावट के बाद रुपये को 2023 में डॉलर के मुकाबले मिली अभी तक की सभी बढ़त गंवानी पड़ गई। साल 2022 के आखिरी कारोबारी सत्र में रुपया 82.74 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
शुक्रवार को भारतीय कारोबारी सत्र के बाद जारी आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका में कृषि के अलावा दूसरे क्षेत्रों में संगठित नौकरियों की संख्या 5,17,000 बढ़ गई, जबकि इसमें केवल 1,85,000 की बढ़त का अनुमान था। आंकड़ों से पता चलता है कि फेडरल रिजर्व द्वारा मार्च 2022 के बाद से दरों में 450 आधार अंकों की बढ़ोतरी किए जाने के बावजूद अमेरिकी श्रम बाजार मजबूत बना हुआ है।
ऐसे में वैश्विक स्तर पर निवेशकों को आशंका हो रही है कि श्रम बाजारों में नरमी लाते हुए मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के लिए फेडरल रिजर्व दरों में कुछ और समय तक वृद्धि कर सकता है। अमेरिकी ब्याज दरों में तेजी से डॉलर मजबूत होता है क्योंकि दुनिया भर के निवेशक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अधिक रिटर्न हासिल करना पसंद करते हैं। डॉलर की मजबूती रुपये जैसी उभरते बाजार की मुद्राओं पर दबाव डालती है। दोपहर साढ़े तीन बजे अमेरिकी डॉलर सूचकांक 103.29 पर रहा, जो शुक्रवार को इसी समय 101.67 पर था।
एचडीएफसी बैंक के कार्यकारी उपाध्यक्ष (ओवरसीज ट्रेजरी) भास्कर पांडा ने कहा, ‘डॉलर सूचकांक पहले की तरह मजबूत हुआ और सभी एशियाई मुद्राओं में गिरावट दर्ज की गई। बाजार में आशंका है कि फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में वृद्धि का दौर कहीं लंबा खिंच सकता है। उनका 2 फीसदी मुद्रास्फीति का लक्ष्य फिलहाल काफी दूर है। उन्हें केवल दरों में वृद्धि करते हुए अर्थव्यवस्था की रफ्तार को सुस्त करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे निकट भविष्य में 82 से 83 रुपये प्रति डॉलर का दायरा दिख सकता है। फिलहाल 83 के पार का स्तर कठिन दिख रहा है क्योंकि उसके बाद आरबीआई दखल दे सकता है।’रुपये में भले ही कमजोरी दिखी हो लेकिन थाई बात और दक्षिण कोरियाई मुद्रा वॉन जैसी अन्य एशियाई मुद्राओं के मुकाबले उसका प्रदर्शन बेहतर रहा। सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले थाई बात 2.1 फीसदी और वॉन 1.9 फीसदी कमजोर हुआ।
एएनजेड बैंक के ट्रेडिंग प्रमुख नितिन अग्रवाल ने कहा, ‘फंडामेंटल के लिहाज से रुपये का प्रदर्शन खराब नहीं दिख रहा है। हमारे यहां मुद्रास्फीति कम से कम सहन करने लायक है। हमारी वृद्धि अच्छी दिख रही है और हमारा बजट भी कुल मिलाकर ठीक रहा है। जब डॉलर में कमजोरी आती है तो रुपये में उतनी मजबूती नहीं आती क्योंकि आरबीआई अपना भंडार बढ़ाने के लिए खरीदारी करता है।’
कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष (मुद्रा डेरिवेटिव एवं ब्याज दर डेरिवेटिव) अनिंद्य बनर्जी ने कहा, ‘आरबीआई का हस्तक्षेप अब उतना आक्रामक नहीं रहा है क्योंकि केंद्रीय बैंक वैश्विक मुद्रा प्रभाव को देख रहा है। यदि रुपया 83 रुपये प्रति डॉलर की ओर रुख करता है तो हम आरबीआई के हस्तक्षेप की उम्मीद कर सकते हैं। मुझे लगता है कि निकट भविष्य में रुपया 82 से 83.20 रुपये प्रति डॉलर पर रहेगा।’