facebookmetapixel
Amazon Now बनाम Blinkit-Swiggy: कौन जीतेगा भारत में Quick Commerce की जंग?Adani Group की यह कंपनी बिहार में करेगी $3 अरब का निवेश, सोमवार को शेयरों पर रखें नजर!Stock Split: अगले हफ्ते तीन कंपनियां करेंगी स्टॉक स्प्लिट, निवेशकों को मिलेगा बड़ा फायदा; जानें रिकॉर्ड डेटCBIC ने कारोबारियों को दी राहत, बिक्री के बाद छूट पर नहीं करनी होगी ITC वापसी; जारी किया नया सर्कुलरNepal Crisis: नेपाल में अगला संसदीय चुनाव 5 मार्च 2026 को होगा, राष्ट्रपति ने संसद को किया भंगट्रंप का नया फरमान: नाटो देश रूस से तेल खरीदना बंद करें, चीन पर लगाए 100% टैरिफ, तभी जंग खत्म होगी1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! ऑटो सेक्टर से जुड़ी इस कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट तयElon Musk की कंपनी xAI ने 500 कर्मचारियों को अचानक निकाला, Grok ट्रेनर्स सकते में!भारत-पाक मैच की विज्ञापन दरों में 20% की गिरावट, गेमिंग सेक्टर पर बैन और फेस्टिव सीजन ने बदला बाजारFY26 में 3.2% रहेगी महंगाई, RBI से दर कटौती की उम्मीद: Crisil

फेड के रुख से एक फीसदी से ज्यादा टूटा रुपया

Last Updated- December 12, 2022 | 3:32 AM IST

भारतीय रुपया गुरुवार को एक फीसदी से ज्यादा टूटकर 74 के पार निकल गया क्योंकि बुधवार को आयोजित बैठक में फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख के संकेत से डॉलर में तेजी दर्ज हुई। आंशिक तौर पर परिवर्तनीय मुद्रा 74.08 प्रति डॉलर पर बंद हुई, जो दिन का सबसे निचला स्तर भी था। बुधवार को यह 73.3225 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली के मुताबिक, तेज गिरावट की एक वजह यह रही कि आयातकों ने घबराहट में डॉलर की खरीदारी की और स्टॉप लॉस भी लग गया।
गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 1.02 फीसदी टूट गया। इसके अलावा इस क्षेत्र की मुद्रा कोरियाई वॉन में 1.19 फीसदी की गिरावट आई। अहम मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत मापने वाला डॉलर इंडेक्स 0.71 फीसदी चढ़कर 91.78 पर पहुंच गया।
कुछ समय से रुपये पर काफी दबाव रहा है। 9 जून को यह 72.98 प्रति डॉलर पर था और तब से इसमें तेज गिरावट आई है। हालांकि कुल मिलाकर रुपया इस साल 28 अप्रैल के बाद के निचले स्तर पर है, जो संकेत देता है कि स्थानीय मुद्रा ने दोतरफा उतारचढ़ाव का सामना किया है और इस तरह से इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है।
हालांकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ‘डॉट प्लॉट’ से पता चलता है कि 18 में से 13 सदस्यों ने साल 2023 में कम से कम दो बार दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद जताई, वहीं सात सदस्यों को साल 2022 के शुरू में फेड की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना दिखी।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें अपरिवर्तित रखी है और परिसंपत्ति खरीद कार्यक्रम जारी रखा है। साथ ही कहा है कि वह दरों में बढ़ोतरी के फैसले के बारे में पहले ही बता देगा। लेकिन उसने एक्सेस रिजर्व पर ब्याज 5 आधार अंक बढ़ाकर 0.15 फीसदी कर दिया, जिसने अहम मुद्राओं के मुकाबले डॉलर को आगे बढ़ाया और दो साल का ट्रेजरी प्रतिफल भी बढ़ा दिया।
विशेषज्ञों ने कहा कि वैश्विक बाजार के लिए यह अहम बदलाव हो सकता है। साथ ही रुपया आसानी से अपने पूर्व स्तर 72 के पास नहीं पहुंचने वाला। सीनियर करेंसी कंसल्टेंट जमाल मैकलाई के मुताबिक, संभावना है कि रुपया 76 के पार निकल जाए। तकनीकी चार्ट के विश्लेषण से मैकलाई का सुझाव है कि 73.30 के स्तर तक रुपये की गिरावट उसे डॉलर के मुकाबले 74.24 तक ले जाएगा। जब यह स्तर पार हो जाएगा तो अगला लक्ष्य 76.12 हो सकता है।
मैकलाई फाइनैंशियल के उपाध्यक्ष इमरान काजी ने कहा, फेड के आक्रामक रुख के बाद झुकाव निश्चित तौर पर धीरे-धीरे रुपये में गिरावट की ओर होगा। काजी ने कहा, 73 से नीचे जाने की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहींं किया जा रहा है, लेकिन यह मुश्किल होगा और टिकाऊ नहींं होगा। विशेषज्ञ भी पूंजी प्रवाह में कमी की संभावना से इनकार नहीं कर रहे। मध्यम से लंबी अवधि में अचानक पूंजी निकल सकती है, जो फेडरल रिजर्व के कदम पर निर्भर करेगा।
आरबीआई इसके लिए कुछ समय से तैयारी कर रहा है और उसका विदेशी मुद्रा भंडार करीब 650 अरब डॉलर का है, जिससे मुद्रा में होने वाले उतारचढ़ाव के समय कुछ मदद मिल सकेगी।

First Published - June 17, 2021 | 11:34 PM IST

संबंधित पोस्ट