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राइट्स इश्यू के जरिये रकम जुटाने के मामले में इस साल सुधार देखा गया है। बाजार में कुछ बड़े सौदे हुए हैं। साल 2023 में 11 कंपनियों ने राइट्स इश्यू के जरिये 7,168 करोड़ रुपये की रकम जुटाई, जबकि पिछले साल 10 कंपनियों ने 3,884 करोड़ रुपये जुटाए थे।
राइट्स इश्यू सूचीबद्ध कंपनियों के लिए उपलब्ध ऐसा तंत्र होता है, जिसमें मौजूदा शेयरधारकों को नए इक्विटी शेयरों की पेशकश करके धन जुटाया जाता है। निवेशकों को सदस्यता लेने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते नए शेयरों को आम तौर पर मौजूदा बाजार मूल्य से छूट पर पेश किया जाता है।
अगर कोई मौजूदा निवेशक राइट्स की पेशकश में हिस्सा नहीं लेना चाहता है, तो दूसरे निवेशकों के लिए शेयर त्यागने का विकल्प होता है।
कंपनियां राइट्स इश्यू का उपयोग आम तौर पर करती हैं, जब प्रवर्तक समूह अपनी हिस्सेदारी बनाए रखने का इरादा रखता है। चूंकि प्रवर्तक अपना खुद का पैसा निवेश करते हैं, इसलिए इससे निवेशकों को सकारात्मक संकेत भेजने में मदद मिलती है।
1990 के दशक में राइट्स इश्यू के जरिये रकम जुटाना आम बात थी। प्राइम डेटाबेस के अनुसार साल 1990 से 1996 के बीच हर साल औसतन 240 राइट्स इश्यू पेश किए गए थे।
अलबत्ता हाल के दिनों में रकम जुटाने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों के बीच पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) को प्राथमिकता मिली है। बैंकरों ने कहा कि कुछ वर्षों में कुछ बड़े मसलों की वजह से संख्या में गिरावट के अलावा राइट्स इश्यू के जरिये धन उगाहना कमजोर रहा है।
इक्विरस कैपिटल के संस्थापक और प्रबंध निदेशक अजय गर्ग ने कहा कि कंपनियां राइट्स इश्यू के जरिये तब रकम जुटाती हैं, जब बाजार में कुछ मंदी होती है और शेयर की कीमतें कम होती हैं। क्यूआईपी काफी तेज रहते हैं और मौजूदा बाजार में अच्छे क्यूआईपी की मांग है। जब किसी कंपनी को बाजार में तेजी के दौरान पूंजी की जरूरत होगी तो पहला पसंदीदा मार्ग क्यूआईपी होगा।
सेंट्रम कैपिटल में निवेश बैंकिंग में साझेदार प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा कि कोई कंपनी राइट्स चुनेगी या कोई अन्य तरीका चुनेगी, यह बात मूल रूप से इस पर निर्भर करती है कि प्रवर्तक सदस्यता लेना चाहते हैं या नहीं।
श्रीवास्तव ने कहा कि राइट्स में निवेशकों के लिए प्रतिफल भी शामिल रहता है। यह बाजार मूल्य से कम पर होता है। अगर आपको किसी वजह से बाहरी निवेशक की जरूरत हो, तो आप क्यूआईपी का विकल्प चुनें।
मोतीलाल ओसवाल इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्या धिकारी अ भिजित तारे का कहना है कि जब राइट्स इश्यू की बात आती है, तो कंपनियों को क्यूआईपी की तुलना में निवेशकों के बड़े समूह को तैयार करना पड़ता है।