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अमीर लोग डेट म्यूचुअल फंड से AIF की ओर कर रहे रुख, वित्त वर्ष 23 में बढ़ा 30 फीसदी निवेश

Published by
खुशबू तिवारी
Last Updated- May 10, 2023 | 7:28 PM IST

वैक​ल्पिक निवेश फंडों (AIF) ने वित्त वर्ष 2023 के दौरान निवेश में 30 प्रतिशत की तेजी दर्ज की है। इन निवेश फंडों को मुख्य तौर पर अमीर निवेशकों (HNI) के निवेश के लिए जाना जाता है।

मार्च 2023 के अंत में, कुल निवेश बढ़कर 8.33 लाख करोड़ रुपये रहा, जो मार्च 2022 के अंत में दर्ज किए गए 6.41 लाख करोड़ रुपये से 1.92 लाख करोड़ रुपये तक अ​धिक है।

ये फंड ज्यादा प्रतिफल (higher yields) पाने के प्रयास में मुख्य तौर पर गैर-सूचीबद्ध कंपनियों, स्टार्टअप, नए जमाने के उद्यमों, रियल एस्टेट, और दबाव महसूस कर रहीं परिसंप​त्तियों में निवेश करते हैं।

इस बीच, AIF इंडस्ट्री द्वारा वित्त वर्ष 2023 में किया गया निवेश 19 प्रतिशत बढ़कर 3.38 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2022 के दौरान 2.84 लाख करोड़ रुपये था।

निवेशकों से फंड मैनेजरों के जरिये निवेश कई बार में किए गए और फंड वृद्धि में इसका असर दिखा है।

इस वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान कैटेगरी-2 AIF का रहा है, जो अक्सर तीन साल की न्यूनतम अव​धि वाले निजी इ​क्विटी और डेट फंडों से जुड़ी हुई है।
कैटेगरी-2 में, 6.93 लाख करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं (investment commitments) की गईं, जबकि ​पिछले वित्त वर्ष के अंत तक कोष उगाही 2.66 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज की गई थी।

कैटेगरी-1 और कैटेगरी-2 में निवेश 58,929 करोड़ रुपये और 80,899 करोड़ रुपये पर रहा। कैटेगरी-1 में, उद्यम पूंजी फंड (venture capital funds) शामिल हैं जबकि कैटेगरी-2 में हेज फंड (hedge funds) शामिल हैं।

उद्योग ​विश्लेषकों का मानना है कि बाजार नियामक द्वारा पारद​र्शिता और निवेशक-अनुकूल मानकों की वजह से AIF के प्रति निवेशक भरोसा मजबूत हुआ है। AIF के जरिये 2012-13 में परिसंप​त्ति जुटाना शुरू किया गया।
तब से उद्योग तेजी से बढ़ा है। AIF इंडस्ट्री द्वारा निवेश सितंबर 2017 में पहली बार 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया। 6 साल से भी कम समय में यह उद्योग यह आंकड़ा 8 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचाने में सफल रहा है।

उद्योग की कंपनियों को कारोबार और निवेश में तेजी आने की संभावना है। इसकी वजह डेट म्युचुअल फंडों पर कराधान में आ रहा बदलाव है।

एथेना इन्वेस्टमेंट्स (Athena Investments) के मुख्य कार्या​धिकारी (CEO) विनीत बागड़ी ने कहा, ‘कर के बाद प्रतिफल (post-tax return ) करीब 7 प्रतिशत से घटकर अब 4-5 प्रतिशत हो गई है। मौजूदा बदलते परिवेश में, निवेशक अब गैर-इ​क्विटी, गैर-डेट निवेश में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं, क्योंकि इससे निवेशकों को पोर्टफोलियो जो​खिम बढ़ाए बगैर कर-बाद प्रतिफल की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलती है।’

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उन्होंने कहा, ‘AIF का मकसद कर-बाद प्रतिफल के आधार पर 6 से 9 प्रतिशत के बीच रिटर्न हासिल करना है।’ हालांकि AIF इंडस्ट्री को डेट फंडों की कर संरचना में बदलाव से मदद मिली है, वहीं उसे नियामकीय सख्ती से भी जूझना पड़ रहा है।

हाल में बाजार नियामक सेबी ने AIF को डायरेक्ट प्लान का विकल्प और सिर्फ परीक्षण के तौर पर अन्य योजनाओं के लिए वितरण शुल्क लेने का निर्देश दिया। अपफ्रंट कमीशन सीमित करने का मकसद भ्रामक जानकारी देकर की जाने वाली बिक्री में कमी लाना था।

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सेबी ने मूल्यांकन मानक पेश कर, मुख्य निवेश प्रबंधकों के लिए प्रमाणन परीक्षा की अनिवार्यता के साथ मानकों को सख्त बनाया है।

निवेशकों के लिए प्रदर्शन का आकलन करने की प्रक्रिया भी आसान बनाई गई है। इस महीने के शुरू में Crisil ने AIF इंडस्ट्रीके लिए तीन नए मानक पेश किए।

First Published : May 10, 2023 | 7:28 PM IST