सरकार की ओर से छोटे कारोबारियों के लिए लाई गई 50,000 करोड़ रुपये की फंडों के फंड (एफओएफ) योजना में व्यवधान आ गया है। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने योजना के मौजूदा ढांचे पर सवाल उठाया है, क्योंकि यह मौजूदा नियामकीय ढांचे का पालन नहीं करता।
आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत इस योजना की घोषणा मई, 2020 में की गई थी। सरकारी निकाय नैशनल स्माल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (एनएसआईसी) को योजना के तहत एक विशेष उद्देश्य इकाई (एसपीवी) का गठन कर इसका पंजीकरण सेबी में कराना था।
नियामक ने सरकार को जवाब मे कहा है कि एसपीवी शुरू करना नियमों के अनुसार नहीं है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि नियामक ने सरकार से इसकी अनुपालन जरूरतों की समीक्षा करने को कहा है।
एफओएफ के रूप में आत्म निर्भर भारत (एसआरआई) फंड सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को इक्विटी फंडिंग का समर्थन मुहैया कराएगा, जिनके बढऩे की पर्याप्त संभावना है, लेकिन अपर्याप्त पूंजी के संकट से जूझ रहे हैं। इस कदम से ऐसे छोटे कारोबारियों को मदद मिलेगी, जो घरेलू शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं।
इसके साथ ही सरकार 10,000 करोड़ रुपये के एक और फंड की स्थापना करेगी, जो छोटे कारोबारियों को करीब 50,000 करोड़ रुपये की वित्तीय पूंजी देने के लिए और धन जुटाएगा। इस फंड का परिचालन मूल और इसके कुछ सहायक फंड करेंगे। मूल फंड का संचालन एसपीवी द्वारा होगा, जिसमें एनएसआईसी की 100 प्रतिशत इक्विटी होगी।
इस मामले में एसपीवी, एनएसआईसी वेंचर कैपिटल फंड लिमिटेड को मूल फंड पंजीकरण के लिए बाजार नियामक के पास वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) के रूप में आवेदन करना है। यह इन कारोबारियों वृद्धि पूंजी मुहैया कराएगा। योजना के मुताबिक फंड से निवेश सीधे नहीं किया जाएगा। एफओएफ एक एआईएफ होगा, जो दूसरे एआईएफ में निवेश करेगा।
योजना के दिशानिर्देशों के मुताबिक, ‘मूल फंड मुक्त होगा और यह नीचे के सहयोगी फंडों में निवेश करेगा, जो सेबी में पंजीकृत श्रेणी 1 या 2 के एआईएफ हो सकते हैं और ये एमएसएमई इकाइयों में निवेश करेंगे। मूल फंड से जुड़े सहयोगी फंड होंगे। इससे जुड़े सहयोगी फंडों को बाहरी स्रोतों से धन जुटाना होगा।’
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्रालय ने इसके पहले इस माह के अंत तक इसे शुरू करने की योजना बनाई थी। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘महामारी की वजह से इस योजना में पहले ही देरी हो चुकी है और जून के अंत तक इसे पेश करने की योजना थी। अब कुछ और देरी होगी क्योंकि सेबी की ओर से अनुपालन संबंधी मसले उठे हैं।’ अधिकारी ने कहा, ‘हम सेबी की ओर से उठाए गए सवालों को देखेंगे और जल्द ही अपनी प्रतिक्रिया भेजेंगे।’ उन्होंने कहा कि उसके बाद उस इकाई का पंजीकरण सेबी के साथ किया जाएगा।
पीएचडी चैंबर आफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि मौजूदा हालात में एमएसएमई के ऊपर नकदी का दबाव बना हुआ है, ऐसे में यह जरूरी है कि फंडों के फंड की योजना जल्द से जल्द शुरू हो क्योंकि इसकी घोषणा हुए एक साल से ऊपर हो चुके हैं।