भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने पूर्व घोषित सेकंडरी मार्केट ऑपरेशन में 26,778 करोड़ रुपये के 10 वर्षीय बॉन्ड खरीदे, जिससे साथ ही केंद्रीय बैंक इस बेंचमार्क का एकमात्र सर्वाधिक बड़ा धारक बन गया है। केंद्रीय बैंक ने पहली तिमाही के लिए अपने जी-सेक खरीद कार्यक्रम (जी-सैप) का पहला चरण संचालित किया, जिसमें उसने केंद्र सरकार के 30,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड और 10,000 करोड़ रुपये के राज्य विकास संबंधित ऋणों की खरीदारी की। इसके साथ, आरबीआई ने पहली तिमाही के जी-सैप को पूरा कर लिया और अगली तिमाही के लिए, उसने बाजार से 1.2 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदने की योजना बनाई है।
फिलिप कैपिटल में निर्धारित आय सलाहकार जयदीप सेन ने कहा, ‘मैंने आरबीआई को सरकारी खरीदारी कार्यक्रम का इतना ज्यादा समर्थन करते कभी नहीं देखा, लेकिन ये असाधारण समय है, जिसमें असाधारण प्रतिक्रिया की जरूरत है।’
बॉन्ड नीलामी परिणामों से पता चलता है कि 30,000 करोड़ रुपये की नियोजित सरकारी बॉन्ड खरीदारी, में केंद्रीय बैंक ने पूरी तरह 10 वर्षीय बेंचमार्क पर ध्यान दिया है। इसके लिए कट-ऑफ 5.99 प्रतिशत था। उसने वर्ष 2028 में परिपक्व हो रहे 1,914 करोड़ रुपये के बॉन्ड और 2035 में परिपक्व हो रहे 5,882 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। तीन अन्य सूचीबद्घ बॉन्डों में खरीदारी नहीं हुई थी।
पिछले जी-सैप और ओएमओ में, आरबीआई 54,500 करोड़ रुपये के 10 वर्षीय बॉन्ड पहले ही खरीद चुका है। इसलिए, घोषित ओएमओ के जरिये आरबीआई ने 81,279 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। बॉन्ड डीलरों का कहना है कि आरबीआई ने अपने अन्य गैर-घोषित सेकंडरी मार्केट ऑपरेशन के जरिये भी बॉन्डों की खरीदारी की है। सरकार ने इस खास पत्र के जरिये 1.19 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। चूंकि अभी कई बॉन्ड आरबीआई के पास हैं, इसलिए बॉन्ड निवेशकों का कहना है कि फिलहाल इसकी कोई उचित वजह नहीं दिख रही है कि अन्य बेंचमार्क की घोषणा की जाएगी।
