भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) पर बने तकनीकी समूह (टीजी) ने सिफारिश की है कि कॉर्पोरेट फाउंडेशनों, राजनीतिक और धार्मिक संगठनों को एसएसई व्यवस्था का इस्तेमाल कर धन जुटाने के लिए अपात्र बनाया जाना चाहिए। बाजार नियामक ने गुरुवार को एसएई पर तैयार की गई रिपोर्ट को सार्वजनिक की है। यह रिपोर्ट नाबार्ड के पूर्व चेयरमैन हर्ष भानवाला की अध्यक्षता में बनी विशेषज्ञों के समूह ने तैयार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कॉर्पोरेट फाउंडेशनों, राजनीतिक या धार्मिक संगठनों व कार्यकर्ताओं, पेशेवरोंं या कारोबारी संगठनों, बुनियादी ढांचा एवं हाउसिंग कंपनियों (सस्ते आवास को छोड़कर) को एसएसई में अनुमति नहीं होनी चाहिए।’
समूह ने कहा है कि लाभ कमाने वाले (एफपीओ) और लाभ न कमाने वाले संगठनों (एनपीओ) को एसएसई में संभावनाओं की तलाश की अनुमति होनी चाहिए, क्योंकि वे सामाजिक इरादों और उसके प्रïभाव को दिखाने में सक्षम हैं। तकनीकी समूह ने सामाजिक असर के मकसद को प्राथमिकता देने के लिए 3 मानक स्थापित 3 मानकों का सुझाव दिया है। समूह ने एनपीओ और एफपीओ को धन जुटाने के लिए कई साधनों की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एनपीओ के लिए धन जुटाने के तरीकों में इक्विटी, जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल बॉन्ड (जेडसीजेडपी), डेवलपमेंट इंपैक्ट बॉन्ड, सोशल इंपैक्ट फंड, 100 प्रतिशत ग्रांट-इन ग्रांट-आउट प्रावधानों के साथ मौजूदा सोशल वेंचर फंड (एसवीपी) और म्युचुअल फंडों के माध्यम से निवेशकों के दान हो सकते हैं।’
एफपीओ इंटरप्राइजेज के लिए उपलब्ध साधनों में इक्विटी, डेट, डेवलपमेंट इंपैक्ट बॉन्ड और सोशल वेंचर फंड होंगे। एसवीपी में निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सेबी के पैनल ने सिफारिश की है कि इस तरह की न्यूनतम पूंजी का आकार 20 करोड़ से घटाकर 5 करोड़ रुपये और न्यूनतम सबस्क्रिप्शन राशि 1 करोड़ रुपये से घटाकर 2 लाख रुपये करने की जरूरत है। एसवीपी अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) की श्रेणी-1 के तहत आएगा और 100 प्रतिशत ग्रांट-इन और ग्रांट-आउट की अनुमति होगी।
तकनीकी समूह ने सिफारिश की है कि एसएसई के लिे क्षमता बनाने के कोष की पूंजी 100 करोड़ रुपये होनी चाहिए। यह फंड नााबार्ड के तहत हो सकता है। एक्सचेंज और अन्य विकास एजेंसियां जैसे सिडबी को इस फंड में अंशदान के लिए कहा जा सकता है। सेबी की समिति ने एसएसई मैकेनिज्म का इस्तेमाल कर इकाइयों के लिए खुलासे पर जोर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एसएसई की इकाइयों को सामाजिक प्रभाव (एनपीओ और एफपीई के लिए) रिपोर्ट का खुलासा सालाना आधार पर करना होगा, जिसमें रणनीतिक रुख और योजना, तरीका, इंपैक्ट स्कोर कार्ड जैसे पहलू शामिल हों।’
रिपोर्ट में नीति आयोग द्वारा टिकाऊ विकास के लक्ष्यों के तहत चिह्नित व्यापक गतिविधियों की सूची के आधार पर एक खाका तैयार किया है, जिस पर एसई काम कर सकते हैं। इसमें भुखमरी, गरीबी, कुपोषण और गैर बराबरी खत्म करना, महिलाओं का सशक्तीकरण और लैंगिक समता और एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय का विकास, ग्रामीण खेल को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण और झुग्गी इलाकों का विकास, सस्ते आवास शामिल हो सकते हैं। विशेषज्ञों के पैनल ने कहा है कि इक्विटी या डेट की सूचीबद्धता कराने को इच्छुक एफपीई को पहले सामाजिक प्रदर्शन के आधार पर अपने ट्रैक रिकॉर्ड का ब्योरा देना होगा। इससे निवेशकों को एफपीई की गतिविधियों के बारे में एक नजरिया मिल सकेगा। तकनीकी समूह ने कहा है कि एफपीई इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म (आईजीपी), लघु व मझोले उद्यम (एसएमई) प्लेटफॉर्म या एनएसई और बीएसई के मुख्य बोर्ड में सूचीबद्ध होने का विकल्प अपना सकते हैं। पैनल ने कहा है कि सूचीबद्धता को इच्छुक एसई को एक्सचेंजों में सूचीबद्धता की जरूरतों का अनुपालन करना होगा।