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बाजार सौदों के जरिये होगी पीई निकासी

भारत में 2024 में निजी इक्विटी सौदे तुरंत निकासी के आसपास वाले थे। तब भारत में आईपीओ बाजार संख्या के लिहाज सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा था।

Last Updated- March 12, 2025 | 10:23 PM IST
Retroactive changes pose a threat to investment पूर्व तिथि से लागू बदलाव निवेश के लिए खतरा

एवेंडस के सह-संस्थापक और कार्यकारी उपाध्यक्ष रानू वोरा का कहना है कि भारत में निजी इक्विटी सौदों के तरीकों में बदलाव आने वाला है क्योंकि बाजारों की अस्थिरता के कारण आईपीओ गतिविधियों के सीमित रहने की संभावना है। इससे वृद्धि और बाद के दौर की निवेश गतिविधियां बढ़ेंगी। उन्हें उम्मीद है कि सौदों की गतिविधियां मजबूत रहेंगी। हालांकि 2024 के आईपीओ की मजबूती वाली उछाल की तुलना में ये अलग तरह से होंगे।

वोरा ने कहा, भारत में 2024 में निजी इक्विटी सौदे तुरंत निकासी के आसपास वाले थे। तब भारत में आईपीओ बाजार संख्या के लिहाज सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा था। इस साल बाजार में काफी अस्थिरता की संभावना है तो 2024 को दोहराना मुश्किल है। उनके अनुसार आईपीओ के लिए अवधि सीमित हो सकती है।

वोरा को उम्मीद है कि सौदों की गतिविधियां मजबूत रहेंगी, जिनमें वृद्धि और बाद के चरण में प्राइवेट इक्विटी बड़ी कंपनियों की फंडिंग जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि कुछ फर्म अनुकूल सार्वजनिक बाजार के हालात की प्रतीक्षा करने के बजाय निजी स्वामित्व का विकल्प चुन सकती हैं।

उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि गतिविधियां मजबूत होंगी। बस इनका स्वरूप बदल जाएगा और इसमें काफी हद तक आईपीओ से लेकर निजी और सार्वजनिक का मिश्रण जुड़ जाएगा। उभरते बाजार की स्थितियां भी विलय और अधिग्रहण के रुझान को आकार दे रही हैं। वोरा ने कहा, गिरते बाजार विलय और अधिग्रहण के नजरिए से उपयोगी होते हैं क्योंकि अगर मैं किसी कारोबार का विक्रेता हूं और बाजार में सिर्फ तेजी आ रही है तो कभी-कभी इंतजार करना बेहतर होता है।

उन्होंने कहा, गिरते बाजार में मूल्यांकन थोड़ा वास्तविक हो जाता है। मुझे लगता है कि विलय और अधिग्रहण के लिए अवसर हैं जहां मूल्यांकन तर्कसंगत होने से अधिक सौदे हो सकते हैं। यह कंपनियों के लिए सोचने का भी मौका है कि वे कैसे बाहर निकलेंगी। इसलिए विलय और अधिग्रहण के बहुत से निर्णय, एकीकरण के निर्णय इसी से प्रेरित हो सकते हैं। यह निवेशकों और उद्यमियों को आईपीओ के अलावा अन्य तरीकों के बारे में सोचने के लिए मजबूर करता है।

First Published - March 12, 2025 | 10:20 PM IST

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