प्राइवेट इक्विटी निवेश भले ही बहुत भारी रिटर्न के लिए नहीं जाने जाते हों लेकिन जिन कंपनियों में प्राइवेट इक्विटी (पीई) निवेश हुआ है उनमें से कई की किस्मत जरूर बदली है।
एक अध्ययन के मुताबिक जिन कंपनियों में प्राइवेट इक्विटी का निवेश हुआ है उनकी प्रदर्शन दूसरी कंपनियों से बेहतर रहा है जिनमें पीई निवेश नहीं है। फोर एस सर्विस के अध्ययन के मुताबिक पीई फंडिंग वाली कंपनियों ने अपनी क्षमता का बेहतर इस्तेमाल किया है।
भारत में प्राइवेट इक्विटी महज एक निवेश या हिस्सेदारी से ज्यादा अब एक्सपर्टाइज की बात हो चुकी है। इससे निवेश पाने वाली कंपनियों को कई तरह से मदद मिलती है, चाहे वह स्ट्रैटेजिक करार की बात हो, कार्पोरेट गर्वनेंस का मामला हो या बेहतर प्रबंधन की सलाह हो, कंपनी को सभी में फायदा मिलता है। जहां पीई निवेश होता है वहां प्रदर्शन भी इस बात पर निर्भर करता है कि वह कंपनी में कैसे वैल्यू एडीशन कर रहा है।
अध्ययन के मुताबिक 2003-07 के बीच पीई फंड वाली कंपनियों की ग्रोथ 27.5 फीसदी (चार साल का सीएजीआर)रही जबकि गैर पीई फंड वाली कंपनियों की ग्रोथ 18.6 फीसदी थी। इसी तरह पीईफंड वाली कंपनियों का ऑपरेटिंग लाभ 29.9 फीसदी बढ़ा जबकि उसी रेंज की अन्य कंपनियों का 12.3 फीसदी ही बढ़ा। पीई फंड वाली कंपनियों के पीई में 42 फीसदी की ग्रोथ रही जबकि अन्य कंपनियों में यह 28 फीसदी रही।
मिसाल के तौर पर श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस में टीपीजी न्यू्ब्रिज और क्रिसकैपिटल के निवेश के बाद कंपनी में जबरदस्त ग्रोथ आई और इसका रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट 20 फीसदी रहा। इसी तरह ज्योती लैब के इनऑर्गैनिक ग्रोथ प्लान में मदद की एक्टिव पार्टनर्स के पीई फंड ने। जेबीएफ इंडस्ट्रीज को सिटी ग्रुप वेंचर कैपिटल की फंडिंग के बाद इसकी कमाई और मार्जिन में 50 फीसदी का इजाफा हो गया।
आईसीआईसीआई वेंचर्स के डायरेक्टर इन्वेस्टमेंट्स सुमित चांदवानी के मुताबिक प्राइवेट इक्विटी किसी भी फर्म को विश्वस्नीयता देती है।