आईडीएफसी म्युचुअल फंड (एमएफ) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल के दौरान इक्विटी बाजारों में उतार-चढ़ाव की अवधि में धैर्य बनाए रखने वाले भारतीय निवेशकों को अच्छा प्रतिफल हासिल करने में मदद मिली। इसमें कहा गया है कि जिन निवेशकों ने अपने एसआईपी निवेश को बरकरार रखा, उन्हें दो अंक का प्रतिफल हासिल हुआ।
मान लीजिए कि यदि किसी निवेशक ने अगस्त 2019 में एसऐंडबी बीएसई 100 टीआरआई में एसआईपी शुरू की और जुलाई, 2020 में बंद कर दी जो उसे 8.2 प्रतिशत का प्रतिफल मिला होगा। हालांकि यदि एसआईपी जुलाई 2021 तक बरकरार रहती, तो निवेशक को दो वर्ष की अवधि के दौरान 34.2 प्रतिशत का प्रतिफल मिलता।
इक्विटी सूचकांकों में, स्मॉल-कैप सूचकांक (एसऐंडपी बीएसई स्मॉलकैप टीआरआई) ने दो वर्ष की अवधि के दौरान सर्वाधिक एसआईपी प्रतिफल दर्ज किया है और इस सूचकांक में करीब 75 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। आईडीएफसी एमएफ में उत्पाद प्रमुख सिर्शेंदु बासु ने कहा, ‘आंकड़ों से संकेत मिलता है कि जिन निवेशकों ने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान संयम बनाए रखा, इक्विटी बाजारों से अपना निवेश नहीं निकाला और एसआईपी के जरिये निवेश बरकरार रखा, उन्हें ज्यादा लाभ हासिल हुआ, क्योंकि सभी प्रमुख सूचकांकों का प्रदर्शन सुधर गया और दो-वर्षीय तथा तीन-वर्षीय, दोनों निवेश अवधियों के निवेश पर उन्हें दो अंक का प्रतिफल मिला।’
इसी तरह, यदि एसआईपी को एक अन्य वर्ष तक बरकरार रखा जाता, तो सूचकांकों का प्रतिफल तीन वर्ष के दौरान दो अंक में रहता। एसऐंडपी बीएसई 250 लार्जमिडकैप टीआरआई सूचकांक पर दो वर्षीय एसआईपी प्रतिफल जुलाई 2020 तक 2.3 प्रतिशत पर था, जबकि जुलाई 2021 तक यह बढ़कर 25.5 प्रतिशत पर पहुंच गया। तीन वर्षों (जुलाई 2021 तक) के दौरान), स्मॉल-कैप सूचकांक ने 46.2 प्रतिशत का प्रतिफल दिया, जिसके बाद मिड-कैप सूचकांक ने 31.6 प्रतिशत प्रतिफल दिया।
भारत में कोविड-19 के मामलों में तेजी के साथ साथ कमजोर वैश्विक परिदृश्य की वजह से मार्च, 2020 में, भारतीय इक्विटी बाजारों में गिरावट आई। हालांकि बाजार तेजी से सुधरने में सफल रहे और बाद के महीनों में अच्छा प्रतिफल दर्ज किया गया था। इक्विटी बाजारों में लगातार तेजी के साथ, कई निवेशकों ने इक्विटी फंडों से पैसा निकाला। जुलाई 2020 और फरवरी 2021 के बीच की अवधि में इक्विटी फंडों से 46,700 करोड़ रुपये से ज्यादा की शुद्घ बिकवाली दर्ज की गई।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट रिसर्च का कहना है, ‘चूंकि मार्च 2020 में महामारी आधारित गिरावट के बाद कैलेंडर वर्ष 2020 में इक्विटी बाजारों में तेजी आने लगी थी, लेकिन निवेशक सतर्कता बरत रहे थे और इक्विटी फंडों से बिकवाली कर रहे थे। चूंकि तेजी की रफ्तार मजबूत थी, लेकिन बाजार धारणा कमजोर बनी हुई थी। इसलिए निवेशकों ने दूरी बनाए रखना सही समझा।’
बाजार कारोबारियों का कहना है कि निवेशकों को इक्विटी में निवेश करते वक्त हमेशा दीर्घावधि नजरिया अपनाना चाहिए, क्योंकि अल्पाविध के मुकाबले इसमें प्रतिफल बेहतर रहता है। पिछले साल में, लार्ज-कैप फंडों ने 44.85 प्रतिशत का औसत प्रतिफल दिया, जबकि 10 वर्षों के लिए यह प्रतिफल करीब 14 प्रतिशत था। इसी तरह, मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंडों ने 10 वर्षीय अवधि के दौरान 18.35 प्रतिशत और 19 प्रतिशत का औसत प्रतिफल दिया।