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निवेशकों की पसंद बन रहे पैसिव फंड

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 5:52 AM IST

घरेलू म्युचुअल फंड निवेशक उन पैसिव फंडों की ओर झुकाव दिखा रहे हैं, जो किसी जिंस या प्रतिभूतियों अथवा बेंचमार्क सूचकांक का अनुसरण करने वाली योजनाएं हैं। पिछले छह महीनों के दौरान पैसिव फंडों में 27,083 करोड़ रुपये का शुद्ध प्रवाह दिखाई दिया है। मार्च में इस तरह की योजनाओं में लगातार पांचवें महीने अंतर्वाह दर्ज किया गया है। दूसरी ओर सक्रिय रूप से प्रबंधित फंडों में निगर्मन देखा गया है। जहां एक तरफ मार्च में उन्होंने 9,115 करोड़ रुपये का शुद्ध अंतर्वाह दर्ज किया, वहीं दूसरी तरफ छह महीने का उनका शुद्ध प्रवाह कुल मिलाकर नकारात्मक रूप से 36,395 करोड़ रुपये बैठता है।
उद्योग के प्रतिभागियों को लगता है कि यह पैसिव फंडों के लिए बदलाव वाला बिंदु है और वे अगले कुछ सालों तक एमएफ उद्योग पर काबिज रह सकते हैं।
पैसिव उत्पाद की इस श्रेणी में इंडेक्स फंड, इक्विटी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ), गोल्ड ईटीएफ और विदेशी बाजार में निवेश करने वाले फंडों के फंड शामिल हैं।
मिराए एसेट मैनेजमेंट के मुख्य कार्याधिकारी स्वरूप मोहंती ने कहा कि हम मार्च में इक्विटी फंडों द्वारा 9,000 करोड़ रुपये का शुद्ध अंतर्वाह देखे जाने से उत्साहित हैं। लेकिन मैं पैसिव फंडों के संबंध में इतना ही उत्तेजित हूं, जिनमें करीब 8,200 करोड़ रुपये का शुद्ध अंतर्वाह नजर आया है। जिस तरह से निवेशक वित्तीय संपत्तियां खरीद रहे हैं, उसमें हमने काफी हद तक परिपक्वता देखी है।
उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि कई लार्ज-कैप फंडों द्वारा बड़े स्तर पर प्रतिफल उत्पन्न नहीं किए जाने की वजह से, निवेशकों के लिए पैसिव फंडों का चुनाव करना प्रमुख कारण हो सकता है। मोहंती ने कहा कि यह वास्तविकता है कि कई बेंचमार्क वाले फंड कम हो रहे हैं और ऐसे माहौल में निश्चित रूप से पैसिव फंडों की ओर जाने का रुख होगा।
इक्विटी और डेट श्रेणियों दोनों में ही नए फंड प्रस्तावों (एनएफओ) द्वारा भी पैसिव श्रेणियों में प्रवाह को समर्थन दिया गया है। आमतौर पर ऐक्टिव फंडों के मुकाबले पैसिव फंडों में निवेश कम महंगा होता है, जिसमें निवेश करने का फैसला फंड प्रबंधक के विवेक से किया जाता है।
दिसंबर 2020 में समाप्त होने वाली अवधि के लिए एसऐंडपी इंडिसेस वर्सेज एक्टिव (एसपीआईवीए) इंडिया के हालिया आंकड़ों से इस बात का खुलासा होता है कि देश के 81 प्रतिशत इक्विटी लार्ज कैप फंडों और 65 प्रतिशत ईएलएसएस फंडों ने अपने से संबंधित सूचकांकों का कमजोर प्रदर्शन किया है। लार्ज कैप फंडों, मिड और स्मॉल कैप फंडों तथा इक्विटी से जुड़ी बचत योजनाओं (ईएलएसएस) में से अधिकांश योजनाओं ने एक साल, तीन साल और पांच साल की अवधि के मुकाबले अपने बेंचमार्क का कमजोर प्रदर्शन किया है।

First Published : April 15, 2021 | 12:13 AM IST