ब्रेंट क्रूड का भाव कारोबार के दौरान 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चला गया है। ऐसे में विश्लेषक विमानन और टायर कंपनियों शेयरों पर दांव लगा रहे है। लेकिन पेंट और तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को लेकर सतर्क हैं।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और शोध प्रमुख जी चोकालिंगम ने कहा, ‘तेल के दाम अपने हालिया शीर्ष स्तर के मुकाबले 20 प्रतिशत से भी ज्यादा नीचे हैं और यह उन क्षेत्रों के लिए अच्छा है जो कच्चे माल के रूप में तेल और उसके उत्पादों का उपयोग करते हैं। अलबत्ता विमानन और टायर शेयरों को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है क्योंकि इन क्षेत्रों को मजबूत मांग के साथ-साथ इनपुट लागत में गिरावट का लाभ मिल सकता है।’
ब्रेंट क्रूड प्रति बैरल 70 डॉलर से नीचे कारोबार कर रहा है जो दिसंबर 2021 के बाद से इसका सबसे निचला स्तर है। 5 अप्रैल को 91 डॉलर के अपने शीर्ष स्तर के बाद से ब्रेंट तेल के दाम 10 सितंबर तक 23.6 प्रतिशत लुढ़क चुके हैं। यह गिरावट पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के इस कैलेंडर वर्ष और 2025 के लिए मांग के अपने पूर्वानुमान को संशोधित करने के बाद से हुई है।
एसीई इक्विटी के आंकड़ों के अनुसार 5 अप्रैल से 10 सितंबर के बीच तेल से संबंधित विभिन्न शेयरों ने अच्छी बढ़त हासिल की है। इंडिगो एयरलाइन चलाने वाली कंपनी इंटरग्लोब एविएशन का शेयर 38 प्रतिशत की बढ़त के साथ सबसे ज्यादा फायदे में रहा। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) में 37 प्रतिशत की मजबूती आई।
कामधेनु वेंचर्स (28.5 प्रतिशत), बालकृष्ण इंडस्ट्रीज (27.9 प्रतिशत) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (17.18 प्रतिशत) में बढ़ोतरी हुई। इस दौरान निफ्टी 50 सूचकांक में 11.23 प्रतिशत की तेजी आई है।
विश्लेषकों का मानना है कि इससे विमानन, पेंट, टायर, टाइल और सीमेंट जैसे क्षेत्रों तथा तेल विपण कंपनियों में तेजी आ सकती है लेकिन उनकी वित्तीय स्थिति में तभी सुधार होगा, जब तेल की मौजूदा कीमतें लंबे समय तक इस स्तर पर बनी रहें।
विश्लेषकों का मानना है कि विमानन कंपनियां गिरते कच्चे तेल का लाभ उठाने के मामले में सबसे बेहतर स्थिति में हैं। विमानन ईंधन (जो कच्चे तेल से उत्पन्न होता है) का उनके खर्चों में बड़ा हिस्सा रहता है। वित्त वर्ष 25 की अप्रैल-जून तिमाही के अंत में इंडिगो के कुल खर्च में ईंधन बिल का 36.7 प्रतिशत हिस्सा रहा। उसकी प्रतिस्पर्धी स्पाइसजेट के मामले में परिचालन में कटौती के बीच यह हिस्सेदारी 11 प्रतिशत रही।
विमानन कंपनियों में दमदार मांग देखी जा रही है, जिससे विश्लेषकों को लंबी अवधि में लाभ मिलने का भरोसा है। वे इंडिगो को प्राथमिकता दे रहे हैं।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के प्रमुख (रिटेल रिसर्च) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘कच्चे तेल की गिरती कीमतें विमानन कंपनियों के लिए एक अतिरिक्त उत्प्रेरक हैं, जो दीर्घावधि में प्रमुख चुनौतियों का सामना कर रही हैं। इंडिगो के मामले में यात्री आवागमन में वृद्धि, बाजार हिस्सेदारी में मजबूती और लगातार विस्तार योजनाएं हमें लंबी अवधि के लिए इस शेयर पर सकारात्मक बना रही हैं।