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आईएफएससी के लिए ऑफ मार्केट हस्तांतरण की इजाजत

Last Updated- December 12, 2022 | 4:08 AM IST

बाजार नियामक सेबी ने प्रतिभूतियों के ऑफ मार्केट हस्तांतरण की अनुमति दी है ताकि विदेशी फंडोंं को गुजरात के इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) में फंड लाने में आसानी हो। सेबी का नियम अभी एफपीआई और अलग-अलग परमानेंट अकाउंट नंबर के बीच प्रतिभूतियों के कैशलेश ट्रांसफर की इजाजत नहीं देता।
बाजार नियामक ने मंगलवार को कहा, यह फैसला लिया गया है कि एफपीआई (मूल फंड या अपने पूर्ण स्वामित्व वाले एसपीवी) अपनी प्रतिभूतियां के ऑफ मार्केट एकमुश्त हस्तांतरण के लिए डीडीपी से संपर्क कर सकते हैं। जांच परख (ड्यू डिलिजेंस) के बाद डीडीपी इस तरह के ऑफ मार्केट एकमुश्त हस्तांतरण की इजाजद दे सकता है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश स्वामी ने कहा, यह स्वागतयोग्य कदम है। आईएफएससी में ऐसा फंड लाने की लागत घटेगी और आईएफएससी को और आकर्षक गंतव्य बना देगा।
सेबी के पास विदेशी फंडों के तौर पर पंजीकृत एफपीआई अगर आईएफएससी आना चाहते हैं तो उन्हें नए एफपीआई लाइसेंस की दरकार होगी। उन्हें प्रतिभूतियों का हस्तांतरण अपने पुराने डीमैट खाते से नए डीमैट खाते में करना होगा, जिस पर आईएफएससी एफपीआई का टैग लगा होगा।
स्वामी ने कहा, सभी एफपीआई को पुराने डीमैट खाते की प्रतिभूतियों को एक्सचेंज पर बेचना होगा और नए डीमैट खाते में उन्हें खरीदना होगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह खातों को विलय के कारण हुआ या फिर रीलोकेशन के कारण। मौजूदा नियम मल्टी इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट स्ट्रक्चर की स्थिति में ही प्रतिभूतियों के ऑफ मार्केट हस्तांतरण की इजाजत देता है, जहां लाभार्थी स्वामित्व एक हो और उनका कॉमन पैन हो।
इस साल वित्त विधेयक मेंं हुुए संशोधन से विदेशी फंडों के पूर्ण स्वामित्व वाले एसपीवी को गुजरात के आईएफएससी फंड में प्रतिभूतियों के हस्तांतरण की इजाजत दी गई है। साथ ही आईएफएससी फंड को यूनिट या तो विदेशी फंड के निवेशकों को जारी करने या फिर विदेशी फंडों को जारी करने में सक्षम बनाया गया था।
यह कदम फंड मैनेजर को जरूरी लचीलापन मुहैया कराने के लिए उठाया गया कि या तो वह फंड के पूरे ढांचे को आईएफएससी में शिफ्ट कर दे या फिर मास्टर फीडर स्ट्रक्चर अपनाए।
कई दो स्तर वाले फंड ढांचे मसलन लक्जमबर्ग-मॉरीशस-इंडिया या केमन-मॉरीशस-इंडिया आईएफएससी की ओर जाने के मामले में विचार करने वाले पहले फंड हो सकते हैं, क्योंकि वैश्विक फंडों के निवेशकों को प्रभावित किए बिना उसे लागू करना अपेक्षाकृत आसान होगा। यह कहना है विशेषज्ञों का।

First Published - June 1, 2021 | 9:02 PM IST

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