नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने खुलासा किया है कि बाजार नियामक सेबी ने को-लोकेशन सुविधा में कथित अनियमितता से जुड़े मामले के निपटान की उसकी याचिका खारिज कर दी है। एक्सचेंज ने मई 2023 में नियामक के कारण बताओ नोटिस के जवाब में निपटान आवेदन दिया था। इसके अलावा एक्सचेंज ने अगस्त, 2023 में विस्तृत जवाब भी जमा कराया था।
एनएसई ने कहा है कि सेबी ने 18 दिसंबर, 2023 के पत्र में एनएसई की तरफ से दाखिल निपटान आवेदन खारिज कर दिए। इस मामले में व्यक्तिगत सुनवाई 2 फरवरी, 2024 को समाप्त हुई और अब सेबी के आदेश की प्रतीक्षा है।
जनवरी 2023 में प्रतिभूति अपील पंचाट (सेबी) ने को-लोकेशन मामले में एनएसई के खिलाफ सेबी की तरफ से जारी अवैध कमाई जमा कराने के आदेश को खारिज कर दिया था। हालांकि उसने एनएसई के कर्मचारियों व अधिकारियों की ओपीजी सिक्योरिटीज के साथ साठगांठ को लेकर जांच की अनुमति दी थी। निपटान आवेदन इसी से जुड़ा था।
साल 2019 में सेबी ने कथित उल्लंघन के लिए एनएसई को 625 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जमा कराने का निर्देश दिया था। इस आदेश को खारिज करते हुए सैट ने एनएसई को ड्यू डिलिजेंस की खामी के लिए 100 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया था। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद बाजार नियामक ने एक्सचेंज को 300 करोड़ रुपये वापस कर दिए।
बाजार व कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक एनएसई को अपने लंबित कानूनी विवाद का निपटारा करने की जरूरत है ताकि वह अपने बहुप्रतीक्षित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम पर आगे बढ़ सके।
दिसंबर 2023 में सैट ने एनएसई व एक्सचेंज की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यन के खिलाफ कथित डार्क फाइबर मामले में सेबी का आदेश खारिज कर दिया था, जहां कुछ ब्रोकरों ने कथित तौर पर एक्सचेंज के इंटरनेट इन्फ्रा का दुरुपयोग कर को-लोकेशन मामले में तेज कनेक्टिविटी हासिल कर ली थी। ट्रिब्यूनल ने रामकृष्ण व सुब्रमण्यन पर जुर्माना भी घटा दिया था।
एनएसई ने खुलासा किया है कि गवर्नेंस व हितों के टकराव वाले मामले में सेबी के आदेश पर सैट में अंतिम सुनवाई होनी है। को-लोकेशन सुविधा में पल पल के डेटा तक तरजीही पहुंच का मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।