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अब प्रवासी भारतीय फंड मैनेजर भी संभाल सकेंगे एफआईआई पोर्टफोलियो

Last Updated- December 07, 2022 | 12:40 AM IST

भारतीय शेयर एवं प्रतिभूति बोर्ड जल्द ही अप्रवासी भारतीय फंड मैनेजरों को विदेशी संस्थागत निवेशकों के इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो के  प्रबंधन की इजाजत दे सकती है।


सेबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसको और अधिक स्पष्ट करते हुए कहा कि इसके बारे में हमारे पास ढ़ेरों ऑफर आएं हैं। अधिकारी ने आगे बताया कि हम उन अप्रवासी फंड मैनेजरों को संस्थागत निवेशकों के इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो के प्रबंधन की जिम्मेदारी देंगे जिनके पास कम से कम एक साल का अनुभव हो।

सूत्रों का कहना है कि फंड मैनेजरों के कामकाज पर उनके अपने देश में निगरानी रखी जाती है और साथ ही प्रॉपीएरिटी मनी के निवेश पर रोक लगी होती है ताकि किसी भी तरह अनियमितत से बचा जा सके ।  इस कदम से सेबी के 2000वां प्रावधान समाप्त हो जाएगा जिसके तहत अप्रवासी भारतीयों और विदेशों के कॉरपोरेट समूह पर विदेशी संस्थागत निवेशकों के रूप में निवेश करने पर पाबंदी है।

सेबी भारतीय मूल के लोगों द्वारा प्रबंधित बहुत सारे फंडों को पहले ही पंजीकृ त कर चुकी है। इस संबंध में पाबंदी अपने आप को विदेशी संस्थागत निवेशकों के रूप में पंजीकृत करानेवाले ओवरसीज कॉरपोरेट बॉडी या ओसीबी एवं अप्रवासी भारतीयों पर है। इस बारे में कोई भी संसोधन होने से अनेक हेज फडों को विदेशी संस्थागत निवेशकों या सब एकाउंट्स के रूप में पंजीकृत होने में मदद मिलेगी।

इस तरह के कुछ फंडों ने सेबी से भारतीय बाजार में निवेश करने की इजाजत मांगी है लेकिन अभी तक उनके आवेदनों पर तक कोई विचार नहीं कि या गया है। कुछ मामलों में सेबी ने स्पष्टीकरण भी मांगे क्योंकि इसमें अप्रवासी भारतीय के पैसे या अप्रवसी प्रबंधक संलग्न थे। निशिथ देसाई एसोसिएट्स लॉ फर्म के सुनीत बारवे का कहना है कि इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से ऐसे कुछ ही आवेदन मिले हैं जहां पर अप्रवासी भारतीय की कोई बड़ी भागीदारी है।

इनको फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।बारवे ने आगे बताया कि अगर इस मामले में कोई भी संसोधन किए जाते हैं तो अप्रवासी भारतीय द्वारा प्रायोजित फंड मैनेजमेंट कंपनियों को यह सीधा संदेश जाएगा कि अगर कुछ नियमों का पालन करे तो बिना किसी परेशानी के उन्हें विदेशी संस्थागत निवेशकों के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है।

जे सागर एसोसिएट्स लीगल फर्म में साझेदार सोमशेखर सुंदरेसान का कहना है कि सेबी को अप्रवासी भारतीयों द्वारा संचालित एनआरआई और इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनियों को विदेशी संस्थागत निवेशकों के रूप में पंजीकृत कर लेना चाहिए। सुंदरेसान ने आगे कहा कि भारतीय मूल के लागों द्वारा सुंचालित कंपनियों के खिलाफ किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।

First Published - May 20, 2008 | 12:25 AM IST

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