पिछले कुछ सप्ताहों में कई जिंसों की कीमतों में आई तेजी ने मुद्रास्फीति में वृद्घि की चिंता बढ़ा दी है। इसे लेकर कई विश्लेषकों ने भारतीय उद्योग जगत की आय पर प्रभाव पडऩे की आशंका जताई है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज (एमओएसएल) की एक रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि यह गैर-निफ्टी श्रेणी के लिए सही साबित हो सकता है, लेकिन निफ्टी-50 सूचकांक की आय इससे अलग बनी हुई है।
एमओएसएल का कहना है कि ऐतिहासिक आंकड़े से पता चलता है कि बढ़ती जिंस कीमतों का समग्र सूचकांक आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा था, और निफ्टी आय का पिछले 12 वर्षों में जिंस कीमतों में उतार-चढ़ाव का करीबी संबंध रहा। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बढ़ती जिंस कीमतों का लाभ निफ्टी की 50 में से सिर्फ 11 कंपनियों को ही मिलेगा, लेकिन सूचकांक आय में उनका आय मौजूदा वित्त वर्ष 2022 में 36 प्रतिशत रहेगा। तुलनात्मक तौर पर 13 निफ्टी कंपनियों का निफ्टी के वित्त वर्ष 2022 के मुनाफे में महज 11 प्रतिशत योगदान होगा। ये कंपनियां ऊंची जिंस कीमतों से प्रभावित हुई हैं।’
वाहन, कंज्यूमर स्टैपल्स, और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स क्षेत्रों के मार्जिन पर विपरीत प्रभाव धातु, सीमेंट और तेल एवं गैस क्षेत्रों की आय वृद्घि से समायोजित होगा। आईटी क्षेत्र का निफ्टी के भारांक में 15 प्रतिशत का योगदान रहा है और यह क्षेत्र जिंस में तेजी से काफी हद तक अलग रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘गैर-निफ्टी, गैर-जिंस श्रेणी में आय पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था में मांग परिदृश्य कमजोर हुआ है।’
वैश्विक रूप से मुख्य जिंसों की कीमतें महामारी की शुरुआत में आई गहरी गिरावट से सालाना आधार पर 70-100 प्रतिशत तक चढ़ी हैं। खाद्य उत्पादों और आधार धातुओं की कीमतें ईंधन तथा कीमती धातुओं के मुकाबले ज्यादा तेजी से चढ़ी हैं। इसलिए, अपस्ट्रीम कंपनियां मुख्य लाभार्थी होंगी।
जहां धातुओं की कीमतों में हाल में नरमी आई है, वहीं विश्लेषकों को नरमी का यह रुझान बरकरार रहने की संभावना नहीं दिख रही है। जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘कीमतों में ताजा गिरावट चीन द्वारा सट्टा कारोबार पर बरती गई सख्ती की वजह से आई है। इसके अलावा, यह बेहद अपेक्षित गिरावट है, क्योंकि कीमतें बेहद तेजी से बढ़ी थीं। हालांकि यह गिरावट लंबे समय तक बने रहने की संभावना नहीं है, क्योंकि मांग मजबूत बनी रहेगी।’
एमओएसएल का कहना है कि हालांकि मांग परिवेश में अनिश्चितता की वजह से कॉरपोरेट घराने बढ़ती लागत का बोझ ग्राहकों पर डालने से परहेज कर सकते हैं और मार्जिन को बनाए रखने के लिए अन्य पीऐंडएल उपायों पर जोर दे सकते हैं।
बीएफएसआई (बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, और बीमा) सेगमेंट निफ्टी पर सर्वाधिक भारांक वाला सेगमेंट रहा। बीएफएसआई के लिए मुद्रास्फीति परिवेश का मिश्रित असर देखा जा सकता है।
एमओएसएल ने कहा है, ‘बढ़ती जिंस कीमतों का एक अप्रत्यक्ष प्रभाव जिंस क्षेत्रों में कर्जदारों की बेहतर बैलेंस शीट के तौर पर देखा जा सकता है।’ कंपनियां ऊंची कीमतों से नकदी प्रवाह का इस्तेमाल कर्ज चुकाने में कर सकती हैं।