चालू वर्ष में एक बार फिर शेयर बाजार तेजी से नीचे जा रहा है। इस स्थिति में निवेशकों से पैसा जुटाना सभी म्युचुअल फंड कंपनियों की प्रमुख रणनीति है।
फंड हाउस बिलकुल सतह पर हैं। वे औसतन 10-12 फीसदी कैश का स्तर ही बनाए रख पा रहे हैं। कुछ तो प्रॉफिट भी बुक कर रहे हैं, जबकि उन्होंने कुछ माह पहले ही बाजार में पैसा लगाया था।
इस स्थिति से उबारने के प्रयास लगभग नहीं के बराबर हैं। एनएफओ के लिए जाने वाली नकदी की पाइपलाइन सूख चुकी है। मौजूदा हालात में फंड हाउस को बहुत ज्यादा पैसा मिलने की उम्मीद नहीं है। इसलिए वे इक्विटी बाजार में पैसा संभल-संभल कर पैसा लगा रहे हैं।
बाजार पर नजर रखने वालों का कहना है कि बीमा कंपनियां अपनी यूलिप योजनाओं में बड़ी मात्रा में मिले धन के कारण बाजार में पक्की खरीदार बनी रहीं। लांग टर्म फंड होने के कारण यूलिप में पैसा निकालने वाले लोग न के बरा बर हैं। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार 31 मई तक बिड़ला सनलाइफ और टाटा म्युचुअल फंड के पास नकद राशि क्रमश: 14 व 20 फीसदी थी, जबकि यूटीआई म्युचुअल फंड और एसबीआई म्युचुअल फंड के पास यह राशि क्रम से 14.56 और 12.81 फीसदी थी।
रिलायंस म्युचुअल फंड के पास कैश सबसे अधिक 25.53 फीसदी था। लोटस म्युचुअल फंड के सीईओ अजय बग्गा ने बताया कि बाजार में सभी फंडों की कार्यप्रणाली पुरातनपंथी है और वर्तमान में उनका कैश लेवल 8-10 फीसदी है। उन्हें इस माह 100 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। यह बाजार की के मौजूदा हाल में बेहद कम है।