वर्ष 2022 में म्युचुअल फंडों की वृद्धि की रफ्तार कमजोर पड़ी है, क्योंकि इक्विटी बाजार को आगे बढ़ने में संघर्ष करना पड़ रहा है। 2022 में अब तक (नवंबर), म्युचुअल फंड उद्योग ने 58 लाख नए निवेशक जोड़े जबकि पिछले साल समान अवधि में यह संख्या 68 लाख थी। उद्योग के आंकड़े के अनुसार, प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में वृद्धि भी सालाना आधार पर 63 प्रतिशत घटकर 6.9 लाख करोड़ रुपये से 2.6 लाख करोड़ रुपये रह गई।
इक्विटी बाजार इस साल सीमित दायरे में बना हुआ है, क्योंकि विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से बड़ी रकम निकाली है। 13 दिसंबर तक, निफ्टी-50 करीब 7 प्रतिशत चढ़ा और इसमें से ज्यादातर वृद्धि पिछले दो महीनों में दर्ज की गई। तुलनात्मक तौर पर, 2021 में निफ्टी में 24 प्रतिशत की तेजी आई थी।
यूनियन एएमसी के मुख्य कार्याधिकारी जी प्रदीपकुमार ने कहा, ‘उद्योग इस साल लगातार वृद्धि दर्ज कर रहा है, भले ही इसकी रफ्तार धीमी है। 2021 में, वृद्धि को बाजार की तेजी से मदद मिली थी। इस तरह की वृद्धि बरकरार नहीं रह सकती है और इसमें बदलाव आना ही था।’
सेपिएंट वेल्थ के संस्थापक निदेशक अमित बिवाल्कर का कहना है कि इस साल ब्याज दर वृद्धि भी मुख्य कारक हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘बढ़ती ब्याज दर के परिवेश में, अतिरिक्त खर्च करने योग्य आय घट जाती है और इसलिए निवेश करने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आती है।’
तथ्य यह है कि इस साल कुछ ही नए इक्विटी फंड पेश किए गए थे, जिससे नए निवेशकों की वृद्धि पर दबाव पड़ा। एमएफ वितरकों के अनुसार, प्रमुख फंड कंपनियों द्वारा नई उत्पाद पेशकशों (एनएफओ) से उद्योग को नए निवेशक आकर्षित करने में मदद मिलती है।
हालांकि एसआईपी पंजीकरण और प्रवाह मजबूत बना रहा। जनवरी-नवंबर की अवधि में 2.3 करोड़ नए एसआईपी खाते शुरू हुए थे, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह संख्या 2.2 करोड़ थी। एसआईपी के जरिये निवेश प्रवाह का रुझान बरकरार रहा। एसआईपी प्रवाह जनवरी 2022 में 11,516 करोड़ रुपये था जो नवंबर 2022 तक बढ़कर 13,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
लेकिन साथ ही, एसआईपी बंद करने की रफ्तार भी बढ़ी है। जहां एसआईपी पंजीकरण में 6 प्रतिशत तक की तेजी आई, वहीं एसआईपी बंद करने की दर इस साल बढ़कर 30 प्रतिशत तक हो गई। वर्ष 2021 में, म्युचुअल फंड उद्योग ने बाजार में शानदार तेजी की मदद से मजबूत वृद्धि दर्ज की थी। इसके अलावा, बचत में वृद्धि और अन्य ऊंचे प्रतिफल वाले निवेश अवसरों के अभाव जैसे अन्य कारकों की वजह से भी 2021 में म्युचुअल फंडों का आकर्षण बढ़ गया था।