हाल के महीनों में म्युचुअल फंड मैनेजरों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपना आवंटन इस अनुमान से घटाया है कि इनके शेयर की कीमतें पहले ही बहुत तेजी हासिल कर चुकी हैं। फंड मैनेजरों के मुताबिक सार्वजनिक बैंकों में निवेश घटाने के फैसले में निजी क्षेत्र के बैंकों में बेहतर मौकों की उपलब्धता का भी योगदान रहा।
मार्च में म्युचुअल फंडों ने सरकारी बैंकों के 2,500 करोड़ रुपये के शेयर बेचे वहीं निजी क्षेत्र के बैंकों में 4,900 करोड़ रुपये का निवेश किया। पिछली तीन तिमाहियों में म्युचुअल फंड सरकारी बैंकों के शेयरों में शुद्ध बिकवाल रहे हैं।
टाटा म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर अमेय साठे ने कहा कि बैंकिंग और फाइनैंशियल सर्विसेज फंड में अब हमारे पास एक ही सरकारी बैंक है जबकि पिछले साल तीन थे। इसकी वजह यह है कि हमें लगता है कि वित्त वर्ष 25 में इनके लाभ में वृद्धि नरम रहेगी।
लाभ में मजबूत वृद्धि और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार के दम पर सरकारी बैंकों के शेयरों में पिछले कुछ वर्षों में खासी तेजी देखने को मिली है। कुछ बैंकों में आकर्षक मूल्यांकन के कारण भी खरीद दिलचस्पी रही।
निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स पिछले एक साल में 84 फीसदी चढ़ा है जबकि निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स में महज 12.6 फीसदी का इजाफा हुआ है। तीन साल की समयावधि में प्रदर्शन का अंतर और ज्यादा है। इस दौरान निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 3.6 गुना बढ़ा है जबकि निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स में 42 फीसदी का इजाफा हुआ है।
फंड मैनेजरों ने कहा कि पिछले 2-3 वर्षों में सरकारी बैंकों काफी तेजी आ चुकी है और अब बड़े सरकारी बैंकों का मूल्यांकन उचित स्तर पर है लेकिन ज्यादातर बैंकों का अधिक है। इसके साथ ही ज्यादातर निजी बैंकों के कमजोर प्रदर्शन ने ऐतिहासिक स्तर की तुलना में उनके मूल्यांकन में सुधार किया है।
मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के फंड मैनेजर गौरव कोछड़ ने कहा कि कोविड के बाद मूल्यांकन के लिहाज से सरकारी बैंक काफी आकर्षक थे। लिहाजा उनमें आवंटन ज्यादा किया गया। अब ज्यादातर में दोबारा रेटिंग हो चुकी है।
ऐसे में उनमें निवेश घटाया गया है। यहां से दोबारा रेटिंग के लिए सुधरे हुए वित्तीय प्रदर्शन के टिके रहने की दरकार होगी। इसके साथ ही निजी बैंक के शेयर अपनी लंबी अवधि के औसत के आसपास वाले मूल्यांकन पर उपलब्ध हैं और मध्य से लंबी अवधि में उनका प्रदर्शन बेहतर रहने की उम्मीद है।
कैपिटालाइन के आंकड़ों के अनुसार आवंटन में बदलाव से पिछली तिमाही में बैंकिंग शेयरों में फंडों की होल्डिंग में खासा बदलाव देखने को मिला है। निजी क्षेत्र के सबसे बड़े एचडीएफसी बैंक में फंडों की होल्डिंग 15.1 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी पर पहुंच चुकी है, वहीं सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई में यह 12.9 फीसदी से घटकर 11.5 फीसदी रह गई है।