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Mutual Funds का रीट्स-इनविट्स में निवेश, बाजार में क्या हैं नई संभावनाएं?

अभी भी यह म्युचुअल फंड उद्योग की 65.7 लाख करोड़ रुपये की कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों का महज 0.3 फीसदी बैठता है। 

Last Updated- April 21, 2025 | 11:04 PM IST
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म्युचुअल फंड (एमएफ) काफी तेजी से रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट्स) और इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट (इनविट्स) में निवेश कर रहे हैं। लेकिन उनका कुल निवेश उद्योग की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) के 0.5 फीसदी से भी कम है। हालांकि फंडों को 2017 की शुरुआत से ही इन परिसंपत्तियों में अपनी एयूएम का 10 फीसदी तक आवंटित करने की अनुमति दी गई है। लेकिन निवेश में अहम वृद्धि हाल में हुई है। मार्च 2020 में निवेश 734 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 20,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। अभी भी यह म्युचुअल फंड उद्योग की 65.7 लाख करोड़ रुपये की कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों का महज 0.3 फीसदी बैठता है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि रीट्स और इनविट्स में निवेश करने के लिए अधिकृत योजनाओं की संख्या बढ़ने के बावजूद मजबूत इक्विटी बाजार, तरलता की समस्याओं और सीमित मूल्यांकन क्षमताओं के कारण निवेश सीमित ही बना हुआ है।

फिसडम के शोध प्रमुख नीरव करकेरा ने कहा, मांग में धीमी वृद्धि का मुख्य कारण यह है कि उसकी दुनिया उतनी व्यापक नहीं है और तरलता भी सीमित है। साथ ही इक्विटी बाजार के प्रदर्शन को देखते हुए फंड मैनेजरों के पास इक्विटी से इतर देखने का कोई कारण नहीं है। तीसरा, केवल कुछ एएमसी के पास रीट्स और इनविट्स में बड़ी रकम निवेश करने के लिए मूल्यांकन और विश्लेषण करने की क्षमताएं हैं।

केवल एक योजना (डीएसपी क्रेडिट रिस्क फंड) का निवेश ऊपरी सीमा के करीब 9.4 फीसदी है। ऐसी 304 अन्य योजनाएं हैं, जिन्होंने रीट्स और इनविट्स में निवेश किया है, लेकिन उनमें से किसी का भी निवेश 4.5 फीसदी से ज्यादा नहीं है।

इसमें निवेश का दायरा चार रीट्स और 18 इनविट्स तक सीमित है। 2023 में एनएसई ने ऐसेट क्लास के प्रदर्शन को ट्रैक करने के लिए पहला इंडेक्स निफ्टी रीट्स और इनविट्स पेश किया। 28 मार्च तक इंडेक्स ने एक साल की अवधि में कुल 8.5 फीसदी का रिटर्न दिया था। पांच साल की अवधि में इंडेक्स ने लगभग 16 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है।

हाल ही में एक परामर्श पत्र में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इक्विटी और हाइब्रिड योजनाओं के लिए निवेश सीमा को 10 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया है। नियामक एकल जारीकर्ता जोखिम सीमा को 5 से बढ़ाकर 10 फीसदी करने की भी योजना बना रहा है। विशेषज्ञों का कहना है, हालांकि उच्च सीमा से रीट्स और इनविट्स बाजार को विकसित करने में मदद मिलेगी। लेकिन इससे दीर्घकालिक विकास नहीं हो सकेगा और परिणाम दिखने में समय लगेगा।

सेबी ने कहा है कि वह बाजार को विकसित करने के लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा है, जिसमें रीट्स और इनविट्स को इक्विटी के रूप में वर्गीकृत करना और फंडों को समर्पित योजनाएं शुरू करने की अनुमति देना शामिल है। हालांकि, उसकी म्युचुअल फंड सलाहकार समिति इन बदलावों के पक्ष में नहीं है।

First Published - April 21, 2025 | 10:35 PM IST

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