अप्रैल 2023 में इंडेक्सेशन का लाभ समाप्त होने के बाद संघर्ष कर रहे घरेलू फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) में निवेशकों की दिलचस्पी फिर से बढ़ गई है। इसकी वजह 2024 के बजट में कर समायोजन की घोषणा रही। इक्विटी, डेट और जिंस केंद्रित पेशकश वाली व्यापक श्रेणी में पिछले छह महीने में निवेश में बढ़ोतरी देखी गई है। एफओएफ ने 2024 की दूसरी छमाही में करीब 6,000 करोड़ रुपये जुटाए जो इसी साल की पहली छमाही के 237 करोड़ रुपये के मुकाबले तेज बढ़ोतरी है।
एफओएफ पूल में आने वाली पूंजी का निवेश सीधे इक्विटी, डेट या कमोडिटी में करने के बजाय म्युचुअल फंड की कई योजनाओं में किया जाता है। अभी भारत में 88 घरेलू एफओएफ हैं। इनमें से ज्यादातर एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों के लिए फीडर फंड हैं जो अपना निवेश संबंधित ईटीएफ में करते हैं। इस क्षेत्र से फंड कंपनियों को अलग तरह की योजनाओं मसलन परिसंपत्ति आवंटन या मल्टी सेक्टर रणनीतियों की पेशकश का भी मौका मिलता है।
विशेषज्ञों ने कहा कि निवेशकों के नए उत्साह के कारण फंड हाउस अपने एफओएफ मॉडल के जरिये और विशेषीकृत योजनाएं उतारना शुरू कर सकते हैं।
अप्रैल 2023 के बाद एफओएफ निवेश में गिरावट कराधान में बदलाव के बाद देखने को मिली थी। 2023 के आम बजट में सरकार ने गैर-इक्विटी फंडों से लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर मिलने वाला कर का फायदा वापस ले लिया था।
एफओएफ समेत सभी गैर-इक्विटी योजनाओं से मिलने वाला लाभ पर निवेशकों के स्लैब के हिसाब से कर दायरे में रखा गया।
पिछले आम बजट में एफओएफ के लिए एलटीसीजी का लाभ बहाल कर दिया गया। 2026-27 से ऐसी योजनाओं पर मिलने वाले लाभ पर 12.5 फीसदी कर उन निवेशकों से वसूला जाएगा जो अपना निवेश दो साल से अधिक रखेंगे।